________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भगवती सूत्र में नालन्दा के पास ही कोजाक सन्निवेश होना बतलाया है। यतः
"वीसेणं नालंदाए बाहिरियाए अदूर सामते एत्थणं कोडाए नाम - सन्निवेसे होत्या
भगवान महावीर के ग्यारह गणधरों में इन्द्रभूति ( गौतम स्वामी), अग्नि भूति भोर वायुभूति यहीं के थे अतः श्री जिनप्रभसूरि कृत विविध तीर्थकल्प में से ११ गणधर कल्प का अनुवाद दिया जा रहा है जो पाठकों को उपयोगी प्रतीत होगा। वेमारगिरि-राजगृह के मन्दिरों से ३ मील और ऊपर जाने पर उनकी निर्वाणभूमि है, वहाँ का मार्ग ठीक नहीं होने से विरले व्यक्ति ही वहाँ जाते है अतः रास्ता ठीक करवा कर यात्रियों को उस पवित्र टोंक पर जाने की प्रेरणा देना परम आवश्यक है।
भगवान महावीर की चिर विहार भूमि नालंदा के सम्बन्ध में अधिकारी विज्ञान विशेष प्रकाश डालेंगे, इस आशा के साथ अपना वक्तव्य समाप्त करता हूँ।
-मवरलाल नाइटा
For Private and Personal Use Only