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(८) महावीर-शासन में ऐसे कोई कारण (अपवाद) उपस्थित नहीं हैं, जिनके वश से शासन कथितप्रवृत्ति में परिवर्तन करना पड़े, और यतियों की शिथिलता को मुख्य कारण मानकर अपने गुप्त अपवादों के सेवनार्थ वर्ण--पगवर्तन किया गया, या किया जाता है वह महावीर-शासन में शास्त्रोक्त-प्रवृत्ति नहीं, किन्तु कपोल कल्पित ही है । इसकी सिद्धि के लिये अनेक प्रमाण प्रकाशित किये जा चुके हैं अतएव इस विषय को विस्तन करना निष्फल है।
पाठकवर ! हमारी आधुनिक प्रवृत्ति, कुलिंगी अपवादी लोगों के तरफ से सत्य वस्तुस्थिति को उड़ानेके लिये जो कुतर्क की गई हैं और जो महावीरशासन के असली मुनिवेश को अनुचित ठहराया गया है। उसीका शास्त्रीय प्रमाण युक्तियों से समवलोकन करके सत्य वस्तुस्थिति को प्रकाश में लाने मात्र है। वह भी समवलोकन ( निरीक्षण ) जिस क्षुद्र-दृष्टि से अपवादि कुलिंगियों ने किया है उस दृष्टि से नहीं, किन्तु सभ्यता को लक्ष्य में रखकर शास्त्र दृष्टि से करना है और वस्तुस्थिति की वास्तविकता को सभ्य-समाज के सम्मुख रखना है । प्रवेश
कोई भी बात या ग्रन्थ ( पुस्तक ) हो उसमें जब तक प्रवेश नहीं किया जाना, तब तक उसके आन्तरिक स्वरूप की जसलियत का पता नहीं लगता । प्रवेश के बाद ही लेखक का परिचय, लेख का अभिप्राय और उसका मार्मिक-स्वरूप प्रत्यक्ष रूप से दृष्टि के सन्मुख खड़ा हो जाता है। इतना ही नहीं, बल्कि
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