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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चाहिये । www.kobatirth.org ४५. आधार से बना दिया है। चरण पादुकाओं की छतरी के निकट जल से भरा एक कुण्ड और पास ही एक वर्षात नाला हैं । पगल्याजी के दक्षिण भाग में प्रांगण के सामने सभा मण्डप बना है जिसे यहां की भाषा में " ग्राम खास" कहते है यह एक जिनालय के रुप में हैं जिसमें केशरियाजी का सुन्दर चित्र है। मेले के समय रथ यात्रा के साथ आने वाला जन समुदाय वहां आसिन हो जाता है यदा कदा जुलुस निकलते है तब सवारी यही आती है और सभा मण्डप में, पालकी या रथ में विराजमान प्रतिमा लाकर पूजी जाती है । वह सभा मण्डप भी अभी ही बना हैं । [३] चन्द्रगिरि क्षेत्र के समीपवर्ती एक पहाड़ी टीले पर एक छतरी और कुटीर तथा पास में एक लघु छतरी बनी हुई है यह छतरी भ० चन्द्रकिर्ति का स्मारक होने से चन्द्रगिरि कही जाती है कहते हैं भगवान चन्द्रकिर्ति को मार कर मन्दिर पर उस समय के प्रबंध कर्ताओं ने अपना अधिकार जमाने का प्रयत्न किया था । स्मारक उन्ही भट्टारक का बना हुआ है । एक छतरी पर १७३७ का लेख है जिससे ज्ञात होता है कि यह स्मारक ४०० वर्ष पुराना होना : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवान चन्द्रकिर्ति के स्मारक की छतरी पर निर्गन्ध प्रतिमाएं एवं चरण अकित हैं, यह बड़ा सुन्दर हैं । यहाँ से For Private and Personal Use Only
SR No.020442
Book TitleKesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Marttand
PublisherMahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain
Publication Year1987
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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