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साभार निवेदन
प्रस्तुत पुस्तक अतिशयक्षेत्र श्री केशरियाजी के संक्षिप्त इतिहास का चतुर्थ संस्कररण है । समयाभाव से मैं चाहते हुए भी अपेक्षित प्रमाण संग्रह नहीं कर सका ओर न भाषा शैली में सुधार किया है, तथापि सत्य-प्रतिपादन करने से संतोष है ।
तीर्थ के जिन विद्वान इतिहासकारों से इस पुस्तक में सहायता ली गई है एवं जिन्होंने परिमार्जित रुप से द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ संस्करण के लिये प्रेरणा दी थी, सबको साभार धन्यवाद देता हूं। शीघ्रता में त्रुटितां रह जाना सम्भव हो अतः क्षमा प्रार्थी भी हूं । तीर्थ के इतिहास - विद्वानों की दृष्टि में यदि अब भी संशोधन की आवश्यकता हो तो सूचित करने का कष्ट करें, जिससे आगे संस्करण में सुधार किया जा सके ।
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श्री ऋषभचरित " की रचना में व्यस्त रहने से प्रस्तुत इतिहास संक्षिप्त ही लिख सका हूं तथा समयाभाव से चतुर्थ संस्करण भी वैसा ही प्रकाशित हो रहा है ।
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- लेखक