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श्री कल्पसूत्र
हिन्दी
अनुवाद
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लिए यह कल्पसूत्र बड़े समारोह पूर्वक सभा के समक्ष वांचना प्रारंभ किया था, तब से चतुविंध संघ भी इसे सुनने का अधिकारी हुआ है । परन्तु वांचने का अधिकारी तो योगोद्वहन किया हुआ साधु ही है । पर्वाधिराज में करने योग्य धर्मकार्य
इस वार्षिक पर्व में कल्पसूत्र सुनने के समान ही यह पांच कार्य भी अवश्य करने योग्य हैं- 1. चैत्य परिपाटी हर एक जैन मन्दिर में दर्शनार्थ जाना 2. समस्त साधुओं को वन्दन करना, 3. सांवत्सरिक प्रतिक्रमण करना 4. परस्पर खमाना 'और 5. अट्टम तप करना। ये पांच कार्य भी कल्पसूत्र के श्रवण समान इच्छित पदार्थ को देनेवाले हैं एवं अवश्य करने योग्य हैं। जिन प्रभु ने उक्त विधियों की आज्ञा की है । उनमें जो अट्टम तप है वह तीन उपवास करने से होता है। यह तप महाफल का कारण, ज्ञान दर्शन, चारित्ररूप तीन रत्नों को देनेवाला, तीन शल्य को उखेड़ फेंकनेवाला, तीन जन्म को पवित्र बनानेवाला, मन वचन शारीरिक दोषों को शोषण करनेवाला और तीन जगत में श्रेष्ठ पद देनेवाला है । इसलिए मोक्षपद • के अभिलाषी भवि प्राणियों को यह अट्टमतप अवश्य करने योग्य है । इस पर नागकेतु का दृष्टान्त कहते हैं ।
अट्टम तप पर नागकेतु की कथा
चन्द्रकांता नगरी में विजयसेन नामक राजा रहता था, उसी नगरी में श्रीकान्त नामक एक व्यापार । उसको बहुत सी मानतायें माने पर एक पुत्र पैदा हुआ, वह
रहता था। उसके श्री सखीनामा स्त्री थी
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