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श्री कल्पसूत्र
पांचवा
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हिन्दी
व्याख्यान
अनुवाद
1157।।
हल तथा गाड़ी न चला सके । इत्यादि कर हमारी आज्ञा पालन करो अर्थात् पूर्वोक्त काम कर, वापिस आकर मुझे कहो कि हमने वैसा ही सब कुछ कर दिया है ।
इस प्रकार सिद्धार्थ राजा द्वारा आदेश पाकर वे कौटुम्बिक पुरुष हर्ष और संतोष को प्राप्त हो गये, हर्ष से पूर्ण हृदयवाले दोनों हाथों से अंजली कर सिद्धार्थ राजा की आज्ञा को विनय से सुनकर तुरन्त ही क्षत्रियकुण्ड ग्राम नगर में में जाकर कैदियों को छोड़ देने से लेकर हजारों जुवे और मुसल एकत्रित करने तक तमाम कार्य कर, सिद्धार्थ राजा के पास आकर आज्ञा पालन का समाचार देते हैं ।
अब सिद्धार्थ राजा स्वयं वहां से उठकर कसरतशाला में जाता है । वहां पर अनेक प्रकार के व्यायाम करता है । व्यायाम कर के स्नानघर में जाकर सुगन्धित कवोष्ठ जल से स्नान करता है, फिर वस्त्राभूषण धारण कर सुशोभित हो राजसभा में आता है । अब सर्व प्रकार की ऋद्धि से. सर्व उचित वस्तुओं के संयोग से, सर्व सैन्य से, पालकी, घोड़ा आदि सर्व वाहनों से, परिवार के समूह से, सर्व अन्तेउर से, सर्व पुष्प, वस्त्र, गन्ध, माला, अलंकारादि की शोभा से, सर्व प्रकार के वाजिंत्रों से तथा सब बाजों के साथ ही होने वाले शब्दसमूह से युक्त सिद्धार्थ राजा
दश दिन तक स्थितिपथि का नामक महोत्सव करता है । उस महोत्सव में बेचनेवाली वस्तुओं पर कर माफ कर दिया, सो प्रति वर्ष प्रजासे जो कर लिया जाता था सो भी उस समय माफ कर दिया । इन कारणों से
प्रजाजनों के हर्ष द्वारा वह महोत्सव अत्यन्त उत्कृष्ठ हो गया । उस महोत्सव में राजा की ओर से आज्ञा हो गई कि
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