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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 530 ] विजयदेवसूरि विजयप्रभ विजयभद्र विजय लक्ष्मी मुनि विजय लक्ष्मी सूरि 28 विठमेह विठ्ठलाचार्य विद्या कुशल विद्यानन्द विद्यापति विद्याभूषण विद्यारत्न विनयचंद्रसूरि विनयप्रभ पृष्ठ जिजयविमल 76,88,144,148,190 विजय शेखर रिजयसिंह विजयसिंह - शिष्य 152,256 248 232 206 238,248 विनय भक्ति वाचक विनय विजय किद्यारुचि विद्याबर्द्धन विद्याविलास विनयचंद 114,188,210,226 236,248,288,300, 152,428 240 450 296 300 232 242 31 विनोदोलाल विमलकीति विमल गरिए विमल भट्ट विमल विनय 294 विमल सूरि 218 विमलाचार्य 176 418 विशालहंस 430 324 www.kobatirth.org ( हर्ष समुद्र शिष्य ) विनय सागर विश्ननाथ दैवज्ञ विष्णु शर्मा वीरदेव गणि वीरभद्र वीर विजय वीर सागर वृद्धिविजय वृद्धिसागर सूरि वृन्द कवि 330,340,342 वैंकश दैवज्ञ 188,322 वेणीराम 298 वैद्यवाचस्पति 356 वंशलोचन 32,36,148,174 182,222,246,256 270, 314,338,442 शङ्करसेन विनय समुद्र (पार्शचंद शिष्य ) 288 | शङ्कराचार्य 29 श 138,316 पृष्ठ 316 शम्भुनाथ 430 | (वाचक) शान्तिचन्द्र 252 70 118 462 286 | शाङ्ग देव शाङ्गधर 422 शार्ङ्गधर ति 432 शिव 466,478,492,498,500 468,470,478, शिवचरण शान्त्याचार्य शिवलाल 76,78,262,404 शिवशङ्कर 212,226,236,238 शीलगणि 246,248,278,326 480 शिवनिधानगणि 410 322 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 460 शान्ति सागर 42,340 शान्ति सूरि 114; 116,122,130 For Private and Personal Use Only 344,424 198 शुभचन्द्र 52,116 शुभवर्द्धन 398 27 ' शिष्य 236,420 शुभविजय 502 शुभवीर 228,346 शुभशील 462(कवि) शेखर 450 | शेरसिंह शेष शेषनाग शोभन मुनि 396शोभमुनि शील विजय शीलां काचार्य 30 [ परिशिष्ट पृष्ठ 458 26 252 54,56 518 462 458 454 42,164,186 188,206 328 240 56 86 2,4 110,328 148 299 236,280 260,344,424 320,330,334,344 390 420 418 450 222,224,270 308
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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