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जैन प्रागम-अंग बाह्य-छेदसूत्र
[ 37
6
7
| 8 |
BA
10
11
175 25x10x12 x 30 | संपूर्ण
19वीं
दशाश्रुत 8वां | प्रा.मा. प्रध्य. जिनकल्या. मक स्थविगवली प्रा. +समाचारी
, ग्र. 1216
| 19वीं
26x11x7x35 | 26 x 11x9x22
19वों
19वीं
25x 17x7x24 26 x 11x6x37
प्रा.मा.
19वीं
प्रा.
27x12x9x37 | स्थविरावली तक
19वीं
समाचारी नहीं हैं
144 | 27x 13x7x22
संपूर्ण ग्र. 1216
1919
27x12x13x32
,
1927
प्रा.सं मा.
26x12x4x54
1939 1955
26x 13x6x34
प्रा.सं.
27x12x10x43
प्रा.
| 26 x 13 x7x35 152 | 25x 11x11x42
प्रा.सं.मा.
1955 अहमदाबाद,
श्रीकृष्ण 20वीं चित्रों की खाली
जगह है 20वीं जिनकीति सूत्र
शिष्य 20वीं पन्ने प्रस्थव्यस्थ
लिखावट 20वीं
प्रा सं.
926x11x7x32
25x11x13x27
123 | 27x 12 x 13x36 , ग्र. 4000 20वीं प्रा.सं. 11030x 13 x 18x72 ,, ग्र. 1216+2010 जोध | 1993को कृति
7443 पर शिवदत्त - 18925x11x16 x 48
12008नागौर
| शिवदत्त प्रा.मा. | 7| 26x12x6x44 केवल अच्छेरा अधिकार 16वीं 10प्राश्चर्यवत्तांत
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