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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जैन श्रागम अंग बाह्य छेद सूत्र " दशांश्रुत प्राठवा प्रा. मा. अध्याय तीर्थंकर कल्याणक, साधु समाचारी व स्थविरावली "1 17 11 37 17 " 21 " "" " "1 = "1 6 " " " " प्रा. प्रा.मा. " प्रा. 7 प्रा. मा. प्रा. प्रा. मा. 13 प्रासं मा. " प्रा. सं. 73 प्रा. मा. प्रा. सं. 31 प्रा. मा. प्रा. सं. प्रा, मा. 8 141 59 116 | 26x11 × 6x32 43 26 × 11 × 13 × 39 25 × 10 × 14 × 46 26 × 11 × 5 × 40 28 × 12 × 9 x 33 124 25 x 11 x 6 x 25 71 26 × 11 x 11 x 25 95 | 25 x 11 × 7x 34 25 x 11 x 6 x 38 27 x 12 x 12 x 60 26 x 11 x 15 x 50 210 28 x 13 x 10 x 46 26 x 11 x 10 x 31 25 x 12 x 17 x 48 72 24x11x7 x 36 95 | 24 x 10 × 11 × 58 135 25 x 11 x 6 x 32 145 26 x 11 x 8 x 40 लगभग पूर्ण ग्र. 1216 154 | 26 × 11 × 14 x 43 अपूर्ण (कुल 1 3 पन्न े कम हैं) सं. ग्र. 1216 का 243 25 x 11 × 13 x 35 76 137 133 184 299 www.kobatirth.org 153 8A लगभग पूर्ण संपूर्ण पूर्ण संपूर्ण " 1 17 33 " " " 9 23 11 For Private and Personal Use Only #.1250 1758 1766 9 वाचनायें 18वीं 18af प्र. 4814 18वीं अपूर्ण ग्र. 1000 तक 18वीं संपूर्ण 1216 ग्र. की | 18वीं ग्र. 1216 18वीं 18वीं 1793 गुढा, नेयमूर्ति 1793 1807 "1 1689 17at 17वीं 17वीं प्र. 1216 1719 1722 " "" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 कथासह 1747 1757 [ 33 11 4 पन्न कम हैं 3 चित्र मामूली 31 चित्र हैं व्याख्यान भी है व्याख्यान भी है कठिनपदभजि विवृत्ति नियम 2पन वम
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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