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284 ]
भाग/विभाग : 3 (इ)-जैन भक्ति व क्रिया
5
| sāmāyika Grahanavicāra
103 - महावीर 3 ई 17| सामायिक ग्रहण-विचार
| महावीर 3 ई 16 , चर्चा
,
Carca
105
महावीर 3 ई 14
106
महावीर 3 ई 15
Sampradāyika Carcă
108
107 के.नाथ 9/35 | सांप्रदायिक ,,
के.नाथ 10/25 | ॥ ॥ 109 | सेवामंदिर 3 ई 29 , खंडन मंडन 110 महावीर 3 ई 9 | सीमन्धरस्वामी विनति 111 कोलड़ी 305
Sāmpradāyika Khandana
Mandana | Simandhara Svami Vinati| उ. यशोविजय
मू ट. (प.ग)
112-3| कोलड़ी 316-39
,
2 प्रतियां
2 copies
114-6 | के.नाय 10/39
, 3 प्रतियां
3 copies 49, 19/86 117-8| महावीर 3 ई 38, सेन प्रश्नोत्तर 2 प्रतियां | Sena Prasnottra
2-118 119 | के नाथ 9/38 | स्त्रीरजस्वला सूतक-विचार | Stri Rajasvala Sutaka
Vicāra 120 कुंथुनाथ 18/9 | स्थापना-बावनी Sthāpanā Bāvani
सेनसूरि (संग्राहक शुभ ग.
विज
पावचंद हीरविजय (संग्राहक
कीत्तिविजे)।
121 | महावीर 3 ई 37] हीर-प्रश्नोत्तर
Hira Praśnottara
भाग विभाग : 4 (अ)-इतिहास व वृत्तान्त
1
Aimanto Anagāra Gita
समयसुन्दर
Agadadatta Caupai
जिनदास
मुनिसुव्रत 3 इ 323| अइमन्तो अणगार-गीत | कोलड़ी 1345 | अगड़दत्त-चौपई | के.नाथ 11/105 | , रास | के.नाथ 6/48 | प्रजापुत्र-चौपई
»
Rāsa
हर्षशीश
Ajāputra Caupai
रूपभद्र
5
सेवामंदिर 44199/
सुमतिप्रभ
,
3 इ345| अठारह कथा श्लोक
Athāraha Kathā Śloka
लब्धिसूरि
कोलड़ी
277 | अठारह नातों की सज्झाय
।
,
Naton ki Sajjhaya
।।
मुनिसुव्रत 3 5 271
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