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260 ]
भाग/विभाग : 3 (प्रा)-जन भक्ति व क्रिया.
3A
4
5
1 2 3 690 | के.नाथ 18/17 वीतराग-वदना
Vitarāga Vandana
-
691
|
11/84 | वीतराग-स्तोत्र सावचरी
| Vitarāga Stotra with
Avacūri
692
| मुनिसुव्रत 3 इ309
हेमचन्द्राचार्य प्रभानंद मू.अ. (प.ग.) हेमचन्द्राचार्य मू. (प.)
म् (प.)
693
प्रोसियां 2/154
694
के.नाथ 21/12
695
,
10/23
+वृत्ति
+Vrtti
म् वृ. (प.ग.)
696
29/42 वीतराग स्तोत्र की प्रवचरी | Vitarāga Stotra ki Avacāri
ग्रोसियां 3 5 232 वृहत् नवकार नमस्कार ।
Vịhat Navakāra
जिनवल्लभ
698
के नाथ | 1/101
699
| Vrhat Navakāra etc.
के.नाथ 26/103गु वृहतनवकार+नमस्कार
माहात्म्य
Vrhat śānti
700 मुनिसुव्रत 3 इ273| बृहत् शान्ति 701 | के.साथ 15/24
702-3 , 14/125,
2 प्रतियां
2 copies | 23/78 704 महावीर 3 इ 45
+वृत्ति
+Vrtti
| - हर्षकीति (चंद्र
कीत्ति का शिष्य) 705-6 कुंथुनाथ 2/3.21/6
2 प्रतियां
2 copies 707-8 कोलड़ी 463,462 वृहत्शांति की टीका
., ki Tika 2 copies | हर्षकीत्ति
2 प्रतियां 709-महावीर 3 इ 139- शक्रस्ताव 2 प्रतियां | Sakrastava 2 copice| सिद्धसेन
40
711 | वोलड़ी 414 | शत्रजय ख मासणा व दोहे | Satrunjaya Khamāsana
+Dohe 712 के नाथ 23/92
खमासणा
,
18/90
, खमासणा+दोहे
पुण्यमहोदय (कल्याण
सागर शिष्य
सेवामंदिर 3 इ 345| शत्रुजयनामकहा
Satrunjaya Nāmakahā
शत्रुञ्जय-स्तवन
Stavana
के.नाथ 23/79 ., गुटका-1 , 23/86
प्रेमविजय + शुभवीर आनंदनिधान
प्रेमविजय
718
महावीर 3 इ22
देवचंद
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