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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
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16/46 | नयरहस्य
13 सेवामंदिर 6 ग्रा 32 नयस्वरूप
के. नाथ 16/46 नयोपदेश
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176]
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1
25
के. नाथ 22 /21
16 / 46
16/46 जिनस्तोत्राणि
महावीर 6 प्र 8 देवधर्मं- परीक्षा
h. नाथ 15 / 116 द्रव्यपदार्थ (किरणावत्यां )
महावीर 6 10 द्रव्यानुयोग तर्करगा
6 श्री 21
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2
"
के. नाथ 4 / 27
| सेवामंदिर 3 इ345 नयनिक्षेप वीरस्तवन
महावीर 6 ग्रा 13 नयप्रदीप
के नाथ 11 /110
"
अपशब्द खण्डन
प्राध्यात्मिक मतपरीक्षा
नयचक्र
26/ 104 निमित्त उपादान कारण
26/68 न्याय ग्रन्थ ( ? )
29/27
महावीर 6 ग्रा 6 न्यायप्रवेश
के नाथ 10/95 न्यायसार - सटीक
महावीर 6 ग्रा 15 न्यायसार की टीका
के. नाथ 29/8
महावीर 6 12 न्यायार्थ - मंजूषा
6 या 19
के. नाथ 5/56
"
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"1
की वृत्ति (? )
31
परसमय- विचार
14 / 93 | पंचनयविचार-स्तवन
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Jina Stotrāņi
Deva Dharma Parikṣā
3 A
Apa Sabda Khandana
मान सर्वज्ञ
Adhyatmika Mata Pariksā उ. यशोविजय
""
Naya Rahasya
Naya Svarupa
Dravya Padārtha (Kirana. उदयन श्राचार्य valyām)
Dravyanuyoga Tarkaṇā
भोजसागर
Nayacakra
देवसेन
Nayanikşepa Vira Stavana रामविजय
Nayapradipa
Nayopadeśa
Nimitta Upadana Kāraṇa
Nyāya Grantha ( ? )
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भाग ( 2 ) जैन सिद्धान्त व प्राचार / विभाग (प्रा)
37
23
Nyaya Pravesa
Nyayasara+Tikā
ki Vrtti (?)
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ki Tikā
Nyāyārtha Mañjūṣā
Parasamaya Vicara
Pañca Naya Vicara
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"
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4
विजयसिंह शिष्य
उ. यशोविजय
उ. यशोविजय
हरिभद्र
जिनसमुद्र / श्रीमद् रत्नपुरि भट्टारक ? / जयसिंहसूर
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हेमहंसगरि स्वोपज्ञ
ग.
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प.
ग.
11
प.
ग.प.
ग.
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वृ. गद्य में
मू. + टी. (ग
ग.
33
वृ. ग.
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ग.
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कीर्तिविजयवाचक शिष्य प.