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जैन तात्त्विक, प्रोपदेशिक व दार्शनिक :
प्रोपदेशिक
कठिन प्रश्नों का शास्त्रीय निराकरण
तात्त्विक
दार्शनिक
"
19
"3
6
"
आगम उद्धरण
(मंडनार्थ)
( " )"
,, (
शास्त्र सारांश
17
33
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तात्त्विक बोल संग्रह मा.
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11
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1
11
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93
मा.
प्रा.सं.
मा.
प्रा.
प्रा.सं.
प्रा.मा.
भागम उद्धरण
श्रीपदेशिक सुभाषित सं.
7
SIT.
प्रा.मा
11
) प्रा
मा.
11
प्रा.मा.
17
13
21
सं.मा.
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सं.
6
प्रामा. 48
112
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12
43
17
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43
34
49
13
5
18
9
27
10
19
27
59
7
www.kobatirth.org
8A
28 × 11 × 13 × 50 संपूर्ण 56 पद
25 x 11 × 15 x 45
32 x 12 x 15 x 40
26 x 11 x 19 x 56
30 x 11 x 17 x 48
28 x 13 x 15 x 42
26 × 12 × 15 × 40
26 × 11 × 5 × 56
26 × 11 × 16 × 54
24 × 1 1 × 10 × 29
25 × 11 × 11 × 42
17
13
26 x 11 x 17 x 55
27 x 12 x 3 x 32
26 x 11 x 13 x 40
27 × 12 × 15 × 39
22 × 10 × 13 × 29 प्रतिपूर्ण
30 x 11 × 21 × 46
27 x 12 x 3 x 25
26x12 x 16 x 42
25 x 10 x 13 x 40
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11
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31
19
19
17
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37
33
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152 गाथायें
13 छंद
"1
50 गा.
11
9
31
50 TT.
#1
50 11
98
26 x 11 x 15 x 45
26x11x9x40
26 × 12 × 13 x 40
त्रुटक
25 × 11 × 13 × 36 संपूर्ण 97 श्लोक
26 x 11 x 17 x 56
99
की
100
अपूर्ण
17वीं
संपूर्ण 99 श्लोक की ग्रं. 215 1665
संपूर्ण 99 श्लोक
1692
104
11
100 श्लोक
12
For Private and Personal Use Only
97 श्लोक
19
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
11
10
1839
1467
19वीं
1505
16at
19वीं
19वीं
19वीं
1877
19वीं
18वीं
1803
1803, जूणपुर
मनरूप
1911
1691
17at
1701
1706
1731
1747
1759
1776
[ 169
11
16 श्लोक तक टब्बा