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जैन तात्त्विक, प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
प्रोपदेशिक सुभाषित सं.
तारिवक
प्रोपदेशिकादि प्रश्नो
त्तर
विविध
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वैराग्य-चितन
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श्रावकाचार
श्रौपदेशिक
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सं.मा.
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सं.
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गुटका
26 × 11 x 12 x 26
4,11* 25×11×12 / 13 x 38
25 × 11 × 13 × 50
26 × 11 × 13 × 41
25 x 12 x 11 x 34
26 x 10 x 13 × 41
31 × 16 × 11 × 37
26 × 12 × 15 × 45
15 × 12 × 11 x 20
18 x 826 x 11
25 × 10 × 20 × 46 प्रतिपूर्ण
अपूर्ण
26 × 11 × 19 × 62 संपूर्ण 29 श्लोक
27 × 11 × 6 x 42
25 × 11 × 18 x 56
26 x 11 x 15 x 40
25 x 12 x 15 x 40
26 x 11 x 7 x 40
28 x 11 x 17 x 68
25 × 1 2 × 15 × 53
25 × 11 × 16 × 41
27 x 12 x 17 x 59
11×9 ×11 x 16
26 x 11 x 14 x 44
23 x 1 1 × 12 x 31
संपूर्ण (द्वितीय में 196 श्लोक ) 18 / 19वीं
19वीं
19
29
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संपूर्ण
श्रपूर्ण
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संपूर्ण 72 गा.
29 श्लोक
27
72
29
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23
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19वीं
19वीं
19at
64 प्रश्न 83 उत्तर 1492 ग्रं. 7560
74 गा.
72 गा.
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Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
32 TT.
प्रपूर्ण पांचवें व्रत तक संपूर्ण 153 गा.
29 सर्वये
10
1499
16at
67 गा.
72/73 गा.
अपूर्ण 11वीं भावना तक 19वीं
| संपूर्ण 12 गाथा
19वीं
12 ढालें
19वीं
19वीं
19वीं
19वीं
1903
16at
1702
1826
19वीं
19वीं
1676
1698
18वीं
18वीं
19/20af
[139
11
पद्य का अर्थ संस्कृत
गद्य में
जीर्ण
अंत में शत्रुंजय स्तवन संस्कृत 10 श्लोक
वृत्ति कल्पलतिका नाम्नी / प्रशस्ति हैं। कवि की 31 अन्य
लघु स्थायें
"1
साथ में दानशीलत
तप भाव संवाद
1834 की कृति
गुंदोज में