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जैन आगम-अंग बाह्य-प्रकीर्णक :----
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___ 6 7 8 माध्यात्मिक काव्य | मा. | 3 जनयोग विषयक
8A
9 10 | 24x 12 x 24 x 42 | (28 पद मात्र) अपूर्ण | 19वीं 27x11x9x37 अपूर्ण योगीप्रशंसा सूत्र 5 17वीं
से मोक्ष तक 23 x 20 x 21x38 संपूर्ण 41 श्लोक 1544
प्रथम 23पने कम है
प्रौपदेशिक
गुटका
27x11x16x36
, 36 गाथा
20वीं
तात्विक-ग्रौपदेशिक प्रा.
15x7x10x23
1499
। ,, 30 गाथा
,, 30 गाथा
23x10x8x26
19वीं
तात्विक रूपक
| हिन्दी 12
33x14x15x36
,298 छन्द
19वीं
1736 श्री कृति
जैन तात्विक
26 x 11x17x 60 | 38 गाथायें
17वीं
26x10x5x34
संपूर्ण 39 गाथा
जीर्ण
1780x
रजित सागर 1887 सूरत
24 x 11x5x29
|, 46 गाथा का
25x11x16x33
1791
124x11x3x36 | संपूर्ण 43 गाथा
1800जालोर
25x11x15x50
, 38 गाथा
18वीं
| 9,5,7
26x11x भिन्न 2
, 44,38,41 गाथा 18वीं
30x11x3x36
, 40 गाथा
26x12x4x38
46 गाथा
1821x पद्म
विजय 1823 X अानंद
विजय 1832 --
27 x 12x5x42
,, 39 गाथा
25x11x7/9 30
38,41 गाथा ,, 38,40 गाथा
| 1862,19वीं 19/20वीं
26x12424x13
2,24 | 23से 26x 10से 13
11 38,39,39 गा
| 19/20वीं
| 25x11x11x32 |
, 43 गा.
19वीं ग्रह नादरपुर, कुंजरविज 1898
28x14x4x24
, 46 गा.
26x11x5x37
19वीं 19वीं विक्रमपुर
ववतमना
25x11x3x34
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