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भाग (2) जैन सिद्धान्त व प्राचार विभाग :-(प्र)
3
187
3A
45 185 प्रोसियां 2/228 | प्रौपदेशिक गाथायें Aupdesik Gathāyen संकलन 186 के. नाथ 13/16 | कर्पूर प्रकरण (कथा सह) |KarpurPrakaranwith Katha हरि/सोमचंद
| महावीर 2/20
| कोलड़ी 131 कपूर प्रकरण 189 | के. नाथ 21/45| कर्म विपाक (प्राचीन)+वृति Karmvipāk (Pracin)+Vrti| गर्गपरमानंद | मू.व. (प.ग.) कुंथुनाथ 14/7 | कर्म ग्रंथ 1-4 (प्राचीन)+ Karmgranth 1-4 (Pracin)+ गर्ग x x जिनवल्लभ 2 म प.
सूक्ष्म विचार सार Suksam Vicar sar 191 के. नाथ 3/20 कर्म ग्रंथ चौथा/(विचार सार Karmgranth 4th (Vicār sai जिनवल्लभ
प्रागमिक वस्तू) + वृति | Agamik Vastu +Vrti| 192 52/8 | कर्म ग्रंथ 1 से 6 नवीन | Karmgrant 1-6 (Navin) देवेन्द्र (1 से 5)+ म.प.
चन्द्रषि (6)
मूव.
,
वृति
, ki vrti
193 | के. नाथ 18 194 / महावीर 2/65
देवेन्द्र (1-5) चंदषि/6 | मू वृ.
मलयगिरी
195
के नाथ 5/100
कर्म ग्रन्थ 1 से 6 नवीन
... (Navin) देवेन्द्र (1-5) चंदषि (6) मू प
| मू ट. (प ग.
196 | कोलडी
117
197 प्रोसियां2/173-76/
मू.
अ.
198 | के. नाथ 23/37 199 , 3/1 | कर्म ग्रन्थ 1 से 6 + बा.
,,+Bali देवेन्द्र + चंदषि / मतिचंद मू.बा. ,, (Navin) देवेन्द्र (1-5)+ चंदर्षि मू.प.
200
कोलड़ी 116
कर्म ग्रन्थ 1 से 6 नवीन
,, 2 copies
201-2 | के. नाथ 5/99, , ,2 प्रति
21/25/ 203 | , 3/13 | कर्म ग्रन्थ 1 से 6 नवीन
| Karmgranth 1-6 (Navin) देवेन्द्र (5) चं
204
23/36
कर्म ग्रन्थ 1 से 5
,
,
1-5
देवेन्द्र -
म.ट.बा.
205
3/11
म.प्र.
मू
कोलड़ी 1189 | के. नाथ 21/9
, 21/18 |
208
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