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जैन तात्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
[85
8A
9
10
11
भक्ति सिद्धान्त
धार्मिक गुणस्वाध्याय मा.
28x13x17x41 सपूर्ण 32 अष्टक ग्रं.3700 19वींx प्रशस्ति है
छबीलजी 27x13x10x36, 32 अष्टक 1950 शत्रुजय
नगरे 24 x 12 x 4x33 - संपूर्ण 15 गाथा 17वीं 30 x 11 x 10 x 37 | 6 प्रामृत पूर्ण 18वीं (दर्शन बोध.श्रुत भाव
चरित मोक्ष) 24x13x3x23 संपूर्ण
19वीं
1 दोहे के पाठ अर्थ है
तात्विक प्रौपदेशिक प्रा.सं.
तात्विक
वैराग्योपदेश
23x11x13x32
19वीं
औपदेशिक
26- 12x17x54
, 75 गाथा
20वीं अजमेर
अहिंसा का विवेचन सं.
26x11x6x28 -
16वीं
28x13x10x38
1961
प्रौपदेशिक उद्धरण ,
24x12x9x25
19वीं
अग सूत्रोंपर स्वाध्याय मा.
26x12x17x40
,, पांच ढालें
1859
| पांच सूत्रो पर
25x11x17x47
19वीं
26x13x19x 60
19ीं
संपूर्ण । | अंगों पर
अहिंसा संबन्धी
प्रा
| 17वीं
प्रागम उद्धरण
28 x 12 x 11 x 40 | प्रतिपूर्ण 15 x 12 x 17 x 24 | अपूर्ण
भक्ति तत्व ,
17वीं
26x 11x13x27 प्रतिपूर्ण
17वीं
छेद सूत्र , " अनेक वस्तु तात्विक ,
6
26xllx15x42
19वीं
तात्विक
16वीं
,, बिचार निर्णय सं
26 x 12 x 11 x 40 संपूर्ण 71 गाथा 10x6x7x16 ! अपूर्ण 25 श्लोक 24 x 11 x 13 x 33 संपूर्ण 36 पद
18वीं
मा.
19वीं
प्रागम भक्ति--
तात्विक शास्त्र सारांश
28x13x15x64 संपूर ग्रंथान 2100
19वीं
19वीं
58,28, 23से 31x12से 16 58,38
40
22
23x12x18x46
20वीं
24x12x10x37 अपूर्ण
20वीं
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