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कायव्या, परसरिकया विसोही, सुहृवि ववहारकुशलेण ॥ १२ ॥ गा०॥ जह सुकुसलोवि विज्झो, अन्नस्सकहेइ अत्तणोवाहि, विजुवए संमुच्चा, पच्छासो कम्ममायरइ ॥१३॥ गा० ॥ देसंखितंतु जाणित्ता, वत्थंपत्तं उवस्सयं, संगहे साहुबग्गंच, सुत्तत्थंचनिहालइ ॥१४॥ अनु० ॥ संगहोवग्गहं विहिणा, नकरेइ अ जो गणी, समणं समणिंतु दिरिकत्ता, समायारिं न गाहए ॥ १५ ॥ विष०॥ बालाणं जोउ सीसाणं, जीहाए उवलिंपए, न सम्ममग्गं गाहेइ, सोसूरीजाणवेरिओ ॥१६॥ अनु० ॥जीहाए विलिहतो, नभद्दओ सारणा जहिनस्थि, दंडेणवि ताडतो, सभद्दओसारणा जत्थ ॥१७॥ गा०॥ सीसोवि वेरिओसोउ, जोगुरुं नवि बोहए, पमायमइराघत्थंसमायारीविराहयं ॥१८॥ अनु० ॥ तुम्हारिसावि मुणिवर, पमाय, वसगा हवंति जइपुरिसा, तेणन्नोकोअम्हं, आलंवणं हुजसंसारे ॥१९॥ गा० ॥ नाणंमि दंसणंमिअ, चरणमिअतिसुवि समयसारेसु चोएइ जोठवेडं, गणमप्पाणंच सोअगणी ॥२०॥ गा० ॥ पिंडं उवहिं सिजं, उग्गम उप्पायणेसणासुद्धं, चारित्तररकणहा, सोहिंतो होइसचरित्ती ॥२१॥ गा०॥ अपरिस्साविसम्म, समपासीचेवहोइ कजेसु, सोररकइ चक्खुंपिव, सबालबुड्डाउलंगच्छं ॥ २२ ॥ गा० सीआवेइ विहारं, सुहसीलगुणेहिंजो अबुद्धीओ, सोनवरि लिंगधारी, संजमजोएण निस्सारो ॥२३॥ गा०॥ कुलगाम नगर रजं, पयहिअजोतेसुकुणइ हु ममत्तं, सोनवरि लिंगधारी, संजमजोएण निस्सारो ॥२४॥ गा०॥ विहिणा जो उ चोएइ, सुत्तंअत्थंचगाहइ, सोधनो सोअ पुण्णोअ, स बंधू मुकदायगो, ॥२५॥ अनु० ॥ सएव भव्वसत्ताणं,
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