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कासुद्धिवंभचेरस्स ॥१०७।। गा०॥जत्थय उवस्सयाओ, बाहिंगच्छेदुहत्थमित्तंपि, एगारत्तिसमणी, कामेरातत्थगच्छस्स ॥१०८॥गा०॥ जत्थयएगासमणी, एगोसमणोअ जंपएसोम, निबंधुणाविसद्धिं, तंगच्छं गच्छगुणहीणं ॥१०९॥ गा० ॥ जत्थजयार मयारं, समणी जंपइ गिहत्थपञ्चरकं, पञ्चरकंसंसारे, अज्झापरिकवइ अप्पाणं ॥११०॥ गा० ॥ जत्थयनिहत्थभासाहि, भासए अजिआ सुरुद्वावि, तं गच्छं गुणसायर, समणगुण विवजिअंजाण ॥१११॥ गा०॥ गणिगोअमजाउचिअं, से अंवत्थ विवजिउं, सेवए चित्तरूवाणि, नसा अजा. वियाहिया ॥ ११२ ॥ विषमा० ॥ सीवणंतुन्नणं भरणं, गिहत्थाणं तु जाकरे, तिल्ल उज्वट्टणंवावि, अप्पणोअ परस्सय ॥११३॥ विषमा०॥ गच्छइ सविलासगई, सयणीअंतूलिअंस विवोअं, उच्चट्टेइ सरीरं, सिणाणमाईणि जाकुणइ ॥ ११४ ॥ गा० ॥ गेहेसु निहत्थाणं, गंतूणकहाकहेइकाहीआ, तरुणाइ अहिवडते, अणुजाणे साइपडिणीआ ॥११५ ॥ गा० ॥वुड्डाणं तरुणाणं, रत्तिं अजाकहेइजाधम्म, सागणीणिगुणसायर, पडिणीआहोइ गच्छस्स ॥११६ ॥ गा० ॥ जत्थयसमणीणमसंखडाई, गच्छंमि नेव जायंति, तंगच्छंगच्छवरं, गिहत्थ भासाउ नो जत्थ ॥११७॥ गा० ॥ जोजत्तोवाजाओ, नालोअइ दिवसपरिक अंबावि, सच्छंदासमणीओ, मयहरिआए न ठायंति ॥ ११८ ॥ गा० ॥ विंटलिआणि पउंजंति, गिलाणसेहीणनेव(य)तेप्पंति, अणागाढे आगाढं, करति आगाढि अणागाढं ॥ ११९ ॥ गा० ॥ अजयणाएपकुव्वंति, पाहुणगाण अवच्छला, चित्तलियाणि अ सेवंति, चित्तारयहरणेतहा ॥१२०॥ विष० ॥ गइविभमाइएहिं,
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