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॥ नवपद पूजा ॥
(३)
णीरे। ते ध्याता निज प्रातमा । होइं सिध गुण खाणी रे वी० ॥२॥
॥श्लोक ॥ ॥विमल नही परम सिधेभ्यो।
॥ इति श्री हितीय सिछ पद पूजा ॥
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॥ अथ तृतीय पद पूजा ॥
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॥दोहा॥ हिवाचारज पदतणी पूजा करोविशेष मोहतिमिर दूरेहरे । सूफैलाव शशेष ॥१॥
सूरीण दूरीकय कुग्गहाणं णमो णमो सू रिसमप्पहाणं । सद्देसणा दाण समायराणं । अखंफ बन्तीसगुणायराणं ॥२॥ नमूसूरिरा जा सदासत्वताजा। जिनेंदा गमें प्रौढ सामा ज्यनाजा षड् वर्गवर्गित गुणे शोजमाना। पं चाचारने पालवें सावधाना ॥३॥ जिकेपंच
आचार पालें सुनावें। अनित्यादि सप्तावना नित्यनावें । जिनेंदागमें ज्ञान दानेसुरत्ता।
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