________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१८
॥ नवपद पूजा ॥
-
-
ईग॥ अथ नवपद जी की पूजा ॥
॥ गाथा ॥ उप्पन्न सन्नाण महो दयाणं । सप्पामि हे रासण संठियाणं ॥ सद्देसणाणंदिय सजणाणं नमो नमो होउ सया जिणाणं ॥१॥
॥ ढाला ॥ जिए शुछनावें निजात्मा पिडान्यो स्ववोधे बए दव्यनों भेदजान्यो । निज प्राग्नवें सप्त पः कर्म साध्यो। बिपाकोदयी तीर्थकृन्नाम बांध्यो॥१॥ यदीय प्रनावें जगत् मुप्रसिझा वसुप्राति हाOदि संपत्ति सिछा । परानंद मग्ना सदा जे विशोका। नमो ते जिना सर्वदा नव्य लोका ॥२॥ नमो नन्त संत प्रमोद प्र धानं । प्रधानाय नव्यात्मने नास्वताय । यथा जेह ना ध्यान थीसौख्यनाजा। सदा सिहच क्राय श्रीपालराजा ॥३॥कस्सा कर्मदुम मर्म
3
For Private And Personal Use Only