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॥ सतरहनेदी ॥
॥ राग भैरवी ॥ पंच वरणी अंगी रची कुसुम नी जाती फूलन की जाती पं० ॥ कुंद मचकुंद गुलाल सिरोवर कर करणी सोवनजाती पं० । दमणक मरुक पाल अरबिंदो श्रंस जूही वेउल वा ती ॥ पं० ॥ पारधि चरण कल्हार मंदारो व र्ण पटकूल वनी जांती । सुरनर किन्नर रमणी गाती भैरव कुगति व्रतती दाती पं० ॥ २ ॥ ॥ इति वर्ण पूजा ॥ ७ ॥
॥ थ गंधबटी पूजा ॥
॥ राग सोरठ ॥ दोहा ॥ सोरठ राग सुहामणी । मुखैन मेली जाय ज्युं ज्यूं रात गलतियां | त्यूं त्यूं मीठी थाय ॥ १ ॥ सोरठ धारा देशमें। गढां बडो गिर नार । नित उठ यादब वांदस्यां । स्वामी नेम कुमार ॥ २ ॥ जो हूंती चंपो बिरख वा गिर नार पहार । फूलन हार गुंधावती चढती नेम कुमार ॥ ३ ॥ राजमती गिरवर चढी । ऊजी करे पुकार । स्वामी जऊ न बा
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