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(५)
॥ सतरहनेदी ॥
३॥
देवा तता थेई । अप्रमित गुण तोरा। चरण सेवा कि पूजा ॥ २ ॥ कुंकुम चंदनवासैं। पू जीये जिनराज तत्ताथेई । चतुर्गति दुख गौरी चतुर्थी धन की पूजा ॥ ३ ॥
॥ इति वासोप पूजा ॥ १ ॥
॥ श्थ पुष्पा रोहणं ॥
॥दोहा॥ मन विकसे तिम विकसतां । पुष्प श नेक प्रकार । प्रनुपूजा ए पंचमी । पंचम ग ति दातार ॥ १ ॥
॥राग कामोद ॥ - पाफल चंपक केतकीए । कुंद किरण म चकुंद सोवन जाती जूहिका । बिउलसिरी अरविंद ॥१॥ जिनवर चरण उवरि चरै ए। मुकुलित कुसुम शनेक । शिव रमणी से वर वरै । विधि जिन पूज विवेक ॥ २
॥राग कानको ॥ सोहैरीमाई मनमोहैरी वरण । विविधक सुमजिनचरण । विकसी हसीजंसा
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