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॥पां०ज्ञा०पू०॥
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___रागसामेरी॥ पूजोरेलवि श्रीश्रुतज्ञान उदार पू० तीरथ पतिपद लहि नविजनके यातेकरत उधार पू० अस्करासन्नीरसम्मंइसाई सपर्यवसित५ शुलनावें ॥ गमियं ६ अंगपविष्ठ ७ एचउदह । नेदविपर्ययत्नावें पू० ॥२॥ पर्यायादिकसमा ससहितयह। विंशतिधापुनहोवें सर्वचरणकर ण क्रियाधार। पातिक कलिमलखोवें पू० ३ इकइकथुत अकरनां करतां । स्वपरविनाग विचार ॥ होवेंपर्ययराशिशनंती । सामेरीम तिधार पू० ॥१॥
॥ लोक ॥ यदक्षरमथोनिधावतमादियुक्तंततः । सप यवसितंचवैगमिकमंगविष्टतथा ॥ नासहस मासतःपुनरिमानिचेत्यंश्रुतं । चतुर्दशविधंय जेनवपदेशुनरष्ठनिः ॥१॥ नाश्रीश्रुत ज्ञानाय जलं० यजामहेस्वाहा॥ इतिश्री श्रुतज्ञान पूजा ॥२॥
॥ दोहा॥ द्रव्यक्षेत्र पुनकाल शुरु नावें विषयप्रमाण बेदैरूपीद्रव्यकों नमोनमोऽ वधिनाण ॥
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