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॥ पां०क०पू०॥
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कोम ॥ जिनदीदा महोच्छवसमें । हाज रहोय तिणठोर ॥ १ ॥ इंदादिक सुरम सुरनर । पनुकुं करेंप्रणाम नरनारी शसी सदे । जयजय त्रिनुवन साम ॥ २ ॥ त जशानव संबरगहै । संयमन्नाव निधा न ॥ सबसंसार तजीकरी । नएशणगार प्रधान ॥३॥ * ॥ तेरीपूजावणी तेरसमें एचाल ॥
धारी धारी धारी जिननए संयमपदधा री। चरनकमल बलिहारी जि०॥ पंचसुमति धरतीन गुपतिकर। सबजीवां सुखकारी जि० १ ॥ जीतलिये उपसर्गपरी सह ॥ सत्रुसेना गणनारी । जयनैरव तेनिपकंपनए । निर्म मनिर हंकारी जि०॥२॥ कोधमान माया लोन किंचन। शाकिंचन व्रम्हचारी ॥ पुष्क रसम निरलेप जगत गुरू । निरंजन शवि कारी जि० ॥३॥ चेतन परप्रनु अप्रतिघा ती। खेसम निराश्रयारी ॥ खड्गीशंग परें एकाकी । प्रतिबंध विहारी जि० ॥ १ ॥
॥दोहा॥ रत्नत्रय परिग्रहकरी । मुक्तिमार्ग निराम
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