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॥ चौ० जि० पू० ॥
महेस्वाहा ॥ इति एकादशमजिन पूजा ॥ ११ ॥ दोहा ॥ हिवबार मजिनवरतणी । पूजनकरियेसार जावनक्तियुत जविसदा । दूव्यनक्ति चितधार ॥ राग सबञ्चरतिमुदारधूपं एचाल ॥ सकल जगजनकरतबंदन । जयानंदन स्वा मिरे ज० । दुरितताप निकंदचंदन । परम शिवपदगामि रे स० ॥ १ ॥ नृपतिवर बसु पूज्यनृपकुल । विपिन नंदनजातरे देवा वि० सु हरिचंदन नंदनंदन | नंदमदकियधातरे ॥ स० ॥ २ ॥ बसुपूज्यनंद जिनेंद्रपूजो । सक लजिन महाराजरे ॥ करतनुति शिवचंदप्रभु ए । निखिल सुरशिरताज रे दे० ॥ ३ ॥ नी पर० नं० ज० वासुपूज्यजिनें० ज० नैवे० यजामहे स्वाहा ॥ इति बारमजिनपूजा ॥ १२ ॥ दोहा ॥
बिमल बिमलजिन करमुळे । मलिनकरम करि दूर ॥ तेरमप्रभु रमिये सदा । मुऊ उर मकि गुणपूर ॥ १ ॥
॥ सिधचक्र पदबंदोरे नविका एचाल ॥ विमलचरणकजबंदोरे । सूरीजनवि० बंदी
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