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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gynmandir जम्बूचरित्रे Desaerwecemenezmeroea वच्छ ! एत्तो, बहुबुल्लेउं न सकेमि ।। ५७ ॥ भणइ 'स उव्वणजोव्वणकरीए गुडियाए रयणतिलएण । सइ जाइ जराए महा अतिलोभे पहारलेसो वि तरुणीए ॥ ५८॥ भणियमिमीए तह तं, करेसु जह तरुणि मज्झयारंमि । मह चेव रूवरेहा, जोइजइ नायर-18 लोहर्गलाजणेण ।। ५९ ॥ गडियाए तीए तिलओ, तओ कओ कुट्टिणीनिडालंमि । कुमरेण तक्खणेणं, थूला सा रासही जाया IN गणिका॥ ६६० ॥ कडियालि दाऊणं, मुहंमि चडिऊण तीए पुट्ठीए। पहणतो सट्टेणं, स आगओ रायमगंमि ॥ ६१॥ मिलिऊण कथा। राउले पा(यउ)उ-लाई सयलाई झत्ति पत्ताई। संभालयंति जा उडिएण केणइ भुयंगेण ॥ ६२ ॥ अक्का खरिया विहिया, सट्टेहिं 6निसटुमाहणइ चडिओ। अणुजुंजेइ नरिंदो, कित्तियदिवसो भुयंगो सो ॥ ६३ ॥ केरिसरूवो केत्तियवरिसो य वएण कहइ मागहिया । पहु! तुम्ह रजलाभो, ममेयलाभो य समकालं ॥ ६४ ॥ अइसयससरिसरुवो, तुम्भाणं केत्तिएण वि कणिट्रो। | तो रन्ना विन्नाओ, महाणुओ सो महाधुत्तो ।। ६५ । निवई भणेइ सयमेव, सिक्खविरसं असिक्खियं तमहं । जयकुंजराधिरूढो, तओ गओ तत्थ नरनाहो ।। ६६ ॥ दिट्ठो स लोयलक्खेहि, लोलअक्खेहिं सव्वविजंतो। अइथूलतुंदतुंगाए, रासहीए समारूढो ।। ६७ ।। गंतु पासे पुच्छइ, पिच्छीसो तं तओ कयपणामो। अविनाम महाधुत्तस्स, सागयं गयसिणेहस्स ॥ ६८॥ तुह IN | वाहणं न सोहइ, रासही कलहकेलिलोलस्स । ता एहि कुंजरे एत्थ, अंगमालिंग अंगेण ।। ६९ ॥ संजमिय रायमग्गे, तं कुट्टिणि रासहिं महापावं । पहसंतेणं पहणिजमाणियं पउरलोएण ॥ ६७०।। धवलहरे संपत्तो, सह नरनाहेण कुंजरारुढो। अकहिंसु । पुच्छिओ सव्वमेव रयणाइवुत्ततं ।। ७१ ॥ आगंतूणं पुण पाउलेहिं पुहईसरो स विन्नत्तो। आइक्खइ पञ्चक्खा चोरी सा रासही एत्थ ॥ ७२ ।। वररयणपाउयासु, हरियासु तीए सह कणिस्स । मुहिया छहा सा अंगनिग्गहो को षि जं न कओ ॥ ७३ ।। ता संपर्यपि मोसस्स, अप्पणा तारिसस्स सव्वस्स । जइ कोइ देइ सई, ता पावइ पुव्वरूवं सा ॥ ७४ ॥ तह विहिए तिलयं बीयगोलियाए करेइ बरसेणो। साहावियरूवधरा, जाया लोहगला तत्तो ।। ७५ ।। ततश्च जातोऽयं प्रवादः-" अतिलोभो न १य अउव्व c. D। २ रइय । ३ सहे ।। merocincorporaeeracOmeporn For Private And Personal Use Only
SR No.020401
Book TitleJambuswami Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhsuri, Hemsagarsuri
PublisherDhanjibhai D Zaveri
Publication Year1957
Total Pages64
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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