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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जम्बूचरित्रे ॥ ३७॥ योगराज्ञा विसंवादि राज्यस्थिति प्रेक्षणम् । pococcacococcooperoeae योग०-यदि बकध्यानद्रव्यगाद्धर्थे तदा किमस्य भस्मजटाकू(जू)टाभ्याम् । का पुनर्बेश्या गणप्रामणीगणिका । पुरुषः-मयरदाढाए दुहिया बहुमाया। अंखिहिं एगि निरिक्खइ एगई देइ मणु, अनि इब्भ बोलावइ अन्नहं देइ खणु । सिरि सिक्किरिउ लग्गहि केवि दुवारि तसु, रूलहिं अलत्तउ जेव मुक किवि लेवि रसु ।। ६६ ।। 6! योग-अहो एतस्य वैशिके प्रागल्भी। अमूदृशि सर्वसमवाये कीदृशी राज्यव्यवस्था । पुरुषः-कहं न कहिस्सं । एत्थु पट्टणि लोगु लुटुंतु चाहट्टइ हट्टि पुण जेण तेण जं, तंजि पलिजइ धरि बीहाइ बंदियह धीर कावि कासु वि न किज्जइ । नियचकहं परचकहं तणउ न भउ फिट्टेइ, आयउ देवह पइजणु कहिहि केव छुट्टेइ ।। ६७ ॥ अविय-जो जेण भिट्टिओ सो तेण पिट्टिओ, जो जेण दिदुओ सो तेण मुटुओ । जो जेण पाविओ सो तेण चाविओ, जो जेण वासिओ सो तेण नासिओ ॥१८॥ किंच-कोई विषयकजि जइ एइ, इह लेविण किंपि किर तासु तिग्जु निवदाणि दिजइ, तं डाहिवुडं गहणि जं सुहाइ तं लेइ निच्छइ । सेट्ठि बलाहिउ मंतिभडु बभणु सेसहं धाइ, खेमिकुसलि सो जइ कहवि वाह बिइज्जउ जाइ ।। ४६९ ॥ योग०–अहो राज्यस्थितिसौख्यं तन्मध्ये प्रविश्य प्रेक्षामहे तावत् । इत्युत्थाय पुरुषं विसृज्य प्राप्तः श्रेष्टिहट्टे, लयुबुडि श्रेष्टी दृष्ट्वा-कई जगए व पिया जोगराओ इति उट्ठेऊण जोहारेइ । आलिंगिऊण य उबवेसेइ उचासणे । कणभत्तण्सु पत्तीणमविजमाणेसु पत्तो हलकावण चेल्लउ उल्लवेइ । मज्झ एत्तो जंतयस्स तुम्ह पडलम्गाओ लग जडाजूडे तणखंडमेगमासि । तं सावगिलिगुरुहि गहेऊण पेसिओ ई अप्पणाय । जओ तिणकणोवि अकप्पणिजो णे अदिन्नो । करे करेह एयंति अप्पिऊण गओ सो नियढाणे । लिप्पद । १ तवि । ३ कलि B. DI४ दामिओ DI CamerecomeDe cemeanoee ॥३७॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020401
Book TitleJambuswami Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhsuri, Hemsagarsuri
PublisherDhanjibhai D Zaveri
Publication Year1957
Total Pages64
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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