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SM Mahavam
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kende
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Achan Ka Beramendi
स्तवन.
शांतिना-चव्या ऋषभजी, जिन०, सातमें विमलने मोक्ष; भवी० ॥२॥ नमी जिन दिक्षा नवमिएं; जिन०पंच क० थना. आषाढ शुदि छठ दिन्न; भवि० ॥ वीर च्यवन ते आठमें, जीन०, मोक्ष अरिष्ट नेमी जिन; भवि० ॥४४॥
॥३॥ वासु पूज्य शीव चौदशें, जीन०, वदि त्रीजें हवें धार; भवि०॥ सिद्धी श्री श्रेयांसनें, जीन०, पाम्या भवोदधि पार; भवि०॥४॥ अनंतनाथ चव्यां सातमें, जिन आठमें नमि जिन जन्म भवि०॥ कुंथु चव्या नवमी तेहनां जीन० प्रणमो पाद पद्म भवि०॥५॥ ___ ढाल-॥६॥ सुण मेरी सजनी रजनी नजाएंरे ॥ ए देशी ॥ सुमति चव्यां श्रावण शुदि बीजेंरे, नेमि जन्म पांचिम दीन लीजेंरे; छठि दीन दीक्षा नेमजीए लीधीरें, पास आठिम दीन वरीआ , सिद्धीरे ॥१॥ पूनिमें मुनि सुव्रत प्रभु चवीआं रे, वदि सातम दो कल्याणक मवीआरे; शांति च्यवनने चंद्र नीर्वाणरे, आठमें चविआ सुपास जिन भाणरे ॥२॥ भाद्रवाशुदि नवमी सुवीधी है। नीर्वाणरे, वदि अमावास्या अरिष्ट नेमि नाणरे; इंणी परें श्री जिन उत्तम गायांरे, पद्मविजय कहें भव फल पायारे ॥३॥
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