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थना.
॥२७॥
शांतिनाॐनमः सिद्धेभ्यः “अथ श्री शाश्वत जिनवर स्तवनम्"
पंचक०
स्तवन. ॥हा॥ वीर जिणेसर पाय नमी, प्रणमी शारद माय; तास तणे सुपसाउ ले, गाइजुश्री जिन राय |॥१॥अतीत अनागत वर्तमान, चोवीशी त्रिहं सार;बहुंत्तर तीर्थंकर नमुं, टाली पाप विकार ॥२॥ अतीत चोवीशी जे कही, पहेली जेह विशाल; सावधान थइ सांभलो, आणीभाव रसाल ॥३॥ ढाल १नमीय पाय जिन विरनां ए॥ ए देशी ॥ केवलज्ञानी पहिलो ए, निरवाणी जिन बीजो ए; त्रीजोए सागर जिनवर जाणीएं ए॥४॥ महाजश चोथो जिनवर, विमलनाथ जिन सुखकर; दुःखहर स-16 र्वानु,-भूति चित्त आणीए ए ॥५॥ श्रीधर दत्त दामोदर, सुतेज स्वामि जिनवर; मनोहर मुनिसुव्रत नित्य वंदीएं ए॥६॥ सुमति जिननें शिवगति, अस्ताघन मीसर जिनपति; शुभमति सोलसमो|
जिनवरगाइएं ए॥७॥ अनिल यशोधर देवए, कृतार्थनें नित मेवए; सेवोए विंशतिमो जिणेसरूं ए| An८॥ शुद्धमति ने शिवंकर, चंदन स्वामी जिनवर; शुभंकर चोविशे नित प्रणमीएंए ॥९॥
ढाल-॥२॥सिद्ध चक्र पद वंदो॥ ए देशी॥ पद्मनाभ सूरदेव सुपास, शय्यंप्रभ पूरे मन
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