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संयम
श्रेणीनुं
स्तवनम्
॥१७९॥
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६४ वर्ग वर्गों २५६ घन कंडक गुणोपि २५६ यथोचित स्थानके संख्या करवी -वर्ग ८ तथा छ कंडक घन ६ तथा चार कंडक वर्ग ४ तथा उपर एक कंडक १ शोभन संयम परिणाम रूप छे ए केम जाणीए जे माटे अनंत गुण वृद्ध प्रथम स्थानकथी हेठल असंख्य गुण वृद्धनां स्थानक कंडक प्रमाण गयाछे अने असंख्यगुणनां एक एक स्थानकने हेठल अनंत भाग वृद्धनां स्थानक कंडक वर्ग १ कंडक घन ३ कंडक वर्ग ३ कंडक १ प्रमाण पामीये ते माटे ए सर्वने कंडक गुणा करी | जे थाय ते सरवालो करी राखीए असंख्य गुणवृद्धने उपर कंडक वर्ग १ कंडक वर्ग ३ कंडक १ पामीए ते पूर्व राशिमां प्रक्षेपीए त्यारे यथोक्त मानथाय यदुक्तं - पंचसंग्रहे - " अड कंडक बग्गा, चत्तारि वग्ग छग्घना कंड; चउ अंतर बुढीए, हेठठाण परूवणाए १ ॥” इति चतुरंतर मार्गणा ॥ | हवे पर्यवज्ञाननी मार्गणा कछे पर्यवसान एटले छेहडो तेनी मार्गणा ते षट् स्थानक पूरे थये जाणवी मूलथी कहेतां धुरथी संयम स्थानक फरसी वीर परमेश्वर जगतनां नायक केवल ज्ञान वरे॥८॥
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अर्थ सहित
॥ १७९ ॥