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Gamandi
स्तवनम्
मौनएका दशी,
॥११९॥
दुहा-प्रभुजी तव हरिनें कहे, मौन एकादशी जाण; कल्याणक पंचास शत, शुभ दिवसे चित्त आंण ॥१॥ वासुदेव वलतुं कहें, दोढसो कल्याणक केम; अतित अनागत वर्तमान, एणिपरे है भाषे नेम ॥२॥
ढाल-२-जी ॥ केसर भिनो मारो सायबो, प्रभू माहरा रति एक रूप देखाड हो ॥ ए देशी माहाजस सर्वानु भूति-भविक जन, किजे श्रीधर सेव हो; नमिमल्लि अरनाथनि-भवि०, राखो वंदन टेवहो-भवि० ॥ नाथ निरंजन साचो सजन दुःखनो भंजन मोहनो गंजन साहेबो भवि० एहिज जिनवर देव हो ॥ ए आंकणि ॥१॥ स्वयंप्रभ देवश्रुत उदय नाथजि-भवि०, साचो शिवपुर साथ हो;अकलंक शुभंकर वंदियें-भवि०,साचो श्री सप्त नाथ हो ॥ नाथ० साचो दुःख० मोहनो० साहे. एहिज० ॥ २॥ ब्रौद्र गुणनाथ गांगिक-भवि०, सांप्रत श्री मुनि नाथ हो; विशिष्ट जिनवर वंदिए-1 भवि०, एहज धर्मनो साथ हो ॥ नाथ० साचो दुःख० मोहनो० साहे. भवि० एहिज०॥३॥ सुमृद्ध श्री व्यक्त नाथजे-भवि०, साचो कलाशत जांण हो; अरण्यवास श्री योगजे-भवि०, श्री अजोग
॥११९॥
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