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॥ श्रीमद्विरायनमः ॥
जैन ज्ञान गजल-गुच्छा
प्रथम भाग.
॥ मङ्गलाचरणं ॥
चेतः कौरव कौमुदी सहचरः स्याद्वाद विद्याकरः । कैवल्यद्रुम मञ्जरी मधुकरः सम्पल्लतांभोधरः ॥ मुक्तिस्त्री कमनीय भाल तिलकः सद्धर्मदः शर्मकृतः । श्री मद्वीर जिनेवर स्त्रिमुवने, क्षेमकरः पातुकाः ॥ १ ॥
( शार्दुल ) ॥ थियेटर ॥
श्रीमुनिनन्दलाल; षटकाय प्रतिपाल; गुणवारी दयाल; तिरन तारन जहाज; । संजमले आतमउजवाली; । कीनाजी कीना बहुत उपकार २ । करे उगर विहार; प्रतिबोधे नर नार, 'सुख' करे नमस्कार, नित्य वार वार वार । वार वार वार | वार ३॥
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