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जिनगुणहीरपुष्पमाला
लाखो गुन्हा मैने किये अब कहां तलक केहुं तुझे ।
रहम दिल हमपे करो और माफि बक्साओ वझे शिव नगरी की सैर करादो मुझे || मेरे० || ६ || हंस की अरज को दर्ज कर दिलमे प्यारे । भूल जाना न कही याद मे रखना प्यारे | भव सिन्धुसे पार लगादा मुझे || मेरे० ॥ ७ ॥
( ६ )
॥ राम नाम रस पिजे प्याला पीजे रे-ए चाल ॥ दर्श ऋषभजिन कीजे भवियां, ।
कीजेरे कीजेरे कीजे मोक्ष लिजे ॥
तरणि प्रतापे तिमिर विनाशे,
तिम गिरिराजे दुःख छीजेरे छीजेरे छीजे मोक्ष लिजे |१| गोहत्यादि हत्या निवारे,
गिरि दीठे काज सरीजेरे सरीजेरे सरीजे मोक्ष लिजे |२| आनंदकारी भवेोदधितारी,
प्रभु देखे माह खीजेरे खीजेरे खीजे मोक्ष लीजे ॥ ३ । जग दुःखवारी शिव सुख आपे,
गिरि भक्तिए मन भीजेरे भीजेरे भीजे मोक्ष लीजे । ४ ।
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