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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ८० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ढाल चोपाईनी देशी ॥ ॥ एक मनां सुजो नर सार, बुद्धि करीकरजो व्यापार || निर्बुद्धि जे जोलो होय, वणज करी धन खोवे सोय ॥१॥ जीर्णदत्त सुत जोलो नाम, जोल पणानुं करतो काम ॥ अंत समय शिक्षा दिये बाप, पुत्र जणी समजावे याप ॥ २ ॥ दंत वाडी तुं सघले करे, द्रव्य देइ म म जाये घरे ॥ स्त्रीनें तुं बांधी मार जे, मिष्ट जोजन जखी सुखें सोवजे ॥ ३ ॥ गाम गाम घर करवुं घणे, दुःखमांहे गंगा कांगे खणे ॥ संदेह पडे पामलीपुर जजे, सोमदत्त मित्र जणी पू बजे ॥ ४ ॥ सकल बोल तेणें आदस्या, अणसमजु तेणें अवला कस्या ॥ धन खूटयुंने निर्धन थयो, सोम दत्त मित्र तो घर गयो ॥ ५ ॥ स्वामी तातें जे मु ऊ कयुं, ते करतां धन सघलुं गयुं ॥ गजदंतें कीधी में वाडी, सोय लोक गया सहु काढी ॥ ६ ॥ पी माग्या विए गई, स्त्री बांधी मारी नवि रही मीठे खाधे रोग अत्यंत, सूते काम सहु विषसंत ॥७॥ गाम गाम घर लोकें ग्रह्मां, गंगाना तट में नवि लह्यां ॥ बुद्धिही खोया में दाम, धन विण पूजा न लहे राम ॥ ८ ॥ सर्वगाथा ॥ ६८६ ॥ 4 For Private and Personal Use Only
SR No.020379
Book TitleHitshikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdas Shravak
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages223
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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