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(३०) तेह ॥ते ॥११॥ कुमर न माने केण तिहां कोई तणुं रे, कहेतां वढवा रे धाय ॥ षन कहे जे कुबुछिने मल्यो रे, सु पुरुष कुपुरुष थाय ॥ते॥१२॥२५॥
॥ दोहा ॥ ॥वांका जमला पाधरा, सहे परानव नूरि ॥ सिंहणी वांकी सरसमां, नाखीजें अति दूर ॥॥ रे रे परवत बापडा, वांसह वास म देस ॥ आप घसा वे पर दहे, निगुणा काहु करेस ॥२॥ मन मेला मुख ऊजला, ते नर मुह म दीव॥पोत विहूणे खूग डे, श्राले गमे मजीठ ॥३॥ कुबुद्धि कडु लींबडो, मलियो अांबा साथ ॥ अंब धरे रंग लिंबनो, कोश न काले हाथ ॥४॥ कुमर मव्यो कुबुद्धि तणे, पे गे कुमतज नरम ॥ सहुने जूठा जाणतो, मंत्री साचो परम ॥५॥ एम नर कुमतें घेरियो, पूर्वव्यु
ग्रहियो जेह ॥ तेहने धर्म कहेवो नहिं, समजे पण नहिं तेह ॥६॥ सर्व गाथा ॥ २५ ॥
॥चोपानी देशी ॥ ॥ लहे उपदेश तणा हजार, कहेतां नवि बफेज लगार॥ ब्रह्मदत्त नवि पाम्यो पार, उदाश रायनो मा रणहार ॥१॥ चपल कान गज केरो जोय, राज
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