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ॐ अर्ह नमः
वन्दे श्रीवीरमानंदम् श्री वल्लभसद्गुरुं सदा
निवेदन
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सर्व सज्जनों को विदित होवे कि गुजराती भाषा से अपरिचित देशों के खास कर के पंजाब देश के उपकारार्थ सुप्रसिद्ध न्यायांभोनिधि जैनाचार्य १००८ श्रीमद्विजयानंदसूरीश्वरजी प्रसिद्धनाम श्रीआत्माराजी महाराज के पट्ट प्रभावक पंजाब केसरी अज्ञानतिमिरतरणि, कलिकालकल्पतरु, वर्तमान युगवीर जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरिजी महाराज की शुभ संगति से आप के ही शिष्यरत्न प्रखरशिक्षाप्रचारक मरुधरोद्धारक आचार्य श्रीमद् विजयललितसूरिजी महाराज तथा आचार्यदेव के प्रशिष्य देवतात्मा परम गुरुभक्त पंन्यासजी श्रीसमुद्रविजयजी महाराज की सहायता से श्रीपर्युषणा पर्व में उपयोगी होनेवाला श्रीकल्पसूत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित कराया गया है ।
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