SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 274
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir कल्पसूत्र हिन्दी अनुवाद। ॥१३४ ॥ तुंगिकापन गोत्रीय स्थविर आर्ययशोभद्र के ये दो स्थविर शिष्य पुत्र समान थे। जिस के पैदा होने से आठवां पूर्वज अयशरूप कीचड में न पड़ें उसे अपत्य-पुत्र कहते हैं और उसके समान हो उसे यथापत्य-पुत्र के समान व्याख्यान कहते हैं। ) वह इस तरह-एक प्राचीन गोत्रीय स्थविर आर्य भद्रबाहु और दूसरे माढर गोत्रीय स्थविर आर्य संभूतिविजय । प्राचीन गोत्रीय स्थविर आर्य भद्रबाहु के ये चार स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध थे। स्थविर गोदास, स्थविर अग्निदत्त, स्थविर यज्ञदत्त और स्थविर सोमदत्त । ये चारों ही काश्यप गोत्री थे। काश्यप गोत्रीय स्थविर गोदाससे गोदास नामक गण निकला। उसकी चार शाखायें इस तरह कहलाती हैं-तामलिप्तिका १, कोटिर्षिक २, पुंडूवर्धनिका ३, और दासीखरबटिका । माढर गोत्रीय स्थविर संभूतिविजय के बारह स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध थे। नन्दनभद्र १, उपनन्द २, तिष्यभद्र ३, यशोभद्र ४, सुमनोभद्र, ५, मणिभद्र ६, पूर्णभद्र ७, स्थूलभद्र ८, ऋजुमति ९, जम्बू १०, दीर्घभद्र ११, और पांडभद्र १२ । माढर गोत्रीय स्थविर आर्य संभूतिविजय की सात शिष्यायें पुत्री समान प्रसिद्ध थीं। यक्षा १, यक्षदिन्ना २, भूता ३, भूतदिना ४, सेणा ५, वेणा ६, और रेणा, ये सातों स्थूलभद्र की बहिने थीं। गौतम गोत्रीय स्थविर शिष्य आर्य स्थूलभद्र के दो स्थविर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध थे। एलापत्य गोत्रीय स्थविर आर्य महागिरि १ और वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य सुहस्तिगिरि २ । एलापत्य गोत्रीय स्थविर आर्य महागिरि के आठ स्थविर शिष्य पुत्र | समान प्रसिद्ध थे । स्थविर उत्तर १, स्थविर बलिस्सह २, स्थविर धनाढ्य ३, स्थविर श्रीभद्र ४, स्थविर कौडिन्य IT१३४॥ For Private And Personal
SR No.020376
Book TitleHindi Jain Kalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanand Jain Sabha
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1949
Total Pages327
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy