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आराम-आलापी आराम-पु० [सं०] सुख, प्रसन्नता; बगीचा, उद्यान, उपवन; आर्द्रा-स्त्री० [सं०] एक नक्षत्र जो प्रायः शुरू आषाढ़में [फा० ] सुखः चैन; विश्राम; आरोग्य । वि० चंगा, | पड़ता है। नीरोग। -कुरसी-स्त्री० लंबी कुरसी जिसपर लेटा आर्य-पु० [सं०] अनार्यों और शूद्रोंसे भिन्न भारतकी एक भी जा सकता है । -गाह-पु० सोनेका कमरा, शयना- प्राचीन सभ्य जाति; अपने धर्म और नियमोंके प्रति आस्था गार । -तलब-वि० सुख चाहनेवाला; आलसी । मु० । रखनेवाला व्यक्ति, सम्मान्य और सदाचारी व्यक्ति -करना-सोना; चंगा कर देना। -से-धीरे-धीरे आचार्य; मित्र; श्वशुर । वि० आर्य जातिका; आर्यके योग्य फुरसतमें। -होना-चंगा होना।
आदरणीय; भद्र, श्रेष्ठ । -धर्म-पु० सदाचार, उत्तम भारि*-स्त्री० हठ, जिद; मर्यादा ।
आचरण; हिन्दूधर्म। -पुत्र-पु. आदरणीय व्यक्तिका आरिज़ी-वि० [अ०] आकस्मिक; अस्थायी, चंदरोजा।। पुत्र; पतिका संबोधन (ना०)। -समाज-पु. स्वामी आरी-स्त्री० छोटा आरा; पैनेकी नोकमें खंसी कील; सुतारी दयानंद द्वारा प्रवर्तित एक धार्मिक समाज । * किनारा, कोर।
आर्यभट्ट-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध भारतीय ज्योतिषी जिन्होंने आरूढ-वि० [सं०] सवार; आसीन; जमकर बैठा हुआ। बीजगणितका आविष्कार किया था । आरेस*-पु० ईर्ष्या, डाह ।
आर्या-स्त्री० [सं०] पार्वती; एक वृत्त; सास, श्रेष्ठ स्त्री। आरो*-पु० दे० 'आरव' ।
आर्यावर्त्त-पु० [सं०] उत्तर भारत । आरोग-वि० नीरोग, स्वस्थ ।
आर्ष-वि० [सं०] ऋषिकृत; ऋषिप्रयुक्त; वैदिक । पु० आरोगना*-स० क्रि० खाना, भक्षण करना।
विवाहके ८ प्रकारोंमेंसे एक वेद । -ग्रंथ-पु. वेदादि । आरोग्य-पु० [सं०] रोगका अभाव, तंदुरुस्ती। -लाभ- -प्रयोग-पु० ऋषियों या बड़े विद्वानों द्वारा किया गया पु० (कॉनवेलेसेंस) बीमारी खानेके बाद क्रमशः स्वास्थ्य शब्दोंका व्याकरण-विरुद्ध प्रयोग । और शक्ति प्राप्त करना, दे० 'रोगोत्तर स्वास्थ्यलाभ' ।- | आलंकारिक-वि० [सं०] अलंकार-संबंधी; अलंकारयुक्त शाला-स्त्री० चिकित्सालय, अस्पताल; (सैनेटोरियम) दे० अलंकार-शास्त्र-वेत्ता। 'स्वास्थ्य-निवास'।-स्नान-पुरोगमुक्तिके बादका स्नान ।
आलंब-पु० [सं०] सहारा, आधार; लटकन, 'पेंडुलम' । आरोधना*-स० क्रि० रोकना ।
आलंबन-पु० [सं०] सहारा; सहारा लेना; आधार; आरोप-पु० [सं०] एक पदार्थमें दूसरेके गुण-धर्मकी कल्पना रसकी उत्पत्तिका आधार (सा०)। लगाना; न्यास, संस्थापना; इलजाम । -पत्र, फलक- | आलक्षित-वि० सं०] देखा हुआ समझा हुआ; अनुभूत । पु० (चार्जशीट) (न्यायालय द्वारा तैयार किया हुआ) वह
आलजाल*-पु० ऊटपटाँग, ऊलजलूल । पत्र जिसमें किसी व्यक्तिपर लगाये गये आरोपोंका ब्यौरा
आलथी-पालथी-स्त्री० दाहिनी एड़ी बायीं और बायी दिया रहता है।
एड़ी दाहिनी जाँधपर रखकर बैठना। आरोपक-वि० [सं०] आरोप करनेवाला ।
आलन-पु० मिट्टीके गारे आदिमें मिलाया जानेवाला आरोपण-पु० [सं०] ऊपर चढ़ाना; मढ़ना; संस्थापन, भूसा आदि; सागमें मिलाया जानेवाला बेसन । रखना; रोपना लगाना; झूठी कल्पना; भ्रम । | आलबाल-पु० दे० 'आलवाल'। आरोपित-वि० [सं०] आरोप किया हुआ; रोपा हुआ। आलम-पु० [अ०] दुनिया, जगत् ; अवस्था भीड़। आरोह-पु० [सं०] चढ़नेवाला; चढ़ना, ऊपरको जाना, आलमारी-स्त्री० दे० 'अलमारी। (घोड़े आदिपर) सवार होना; संगीतमें स्वरोंका चढ़ाव ।। आलय-पु० [सं०] घर, मकान, आधार, आश्रय-स्थान । आरोहक-वि [सं०] आरोहण करनेवाला । पु० सवार ।। आलर्क-वि० [सं०] पागल कुत्तेका (विष)। आरोहण-पु० [सं०]चहना; सवार होना; ऊपरको जाना।। आलवाल-पु० [सं०] थाला; मेघ । आरोही (हिन्)-वि० [सं०] आरोह करनेवाला; ऊपरकी आलस-वि० [सं०] आलसी । * पु० आलस्य । ओर-पटजसे निषादकी ओर-जानेवाला । पु० सवार।
आलसी (सिन्)-वि० [सं०] सुस्त, काहिल । आर्जव-पु० [सं०] ऋजुता, सीधापन; नम्रता ।
आलस्य-पु० [सं०] काम करनेकी अनिच्छा, सुस्ती। आतं-वि० [सं०] पीड़ित, किसी कष्ट-पीड़ासे बेचैन, दुःखी;
आला-पु० ताक, ताखा; पजावा । * वि० गीला; ताजा बीमार । -ध्वनि-स्त्री०,-नाद,-स्वर-पु० दुखियाकी हरा । पु० [अ०] औजार, उपकरण, साधन । वि० बहुत पुकार, दर्दभरी ऊँची आवाज।
ऊँचा; श्रेष्ठ । -दरजेका-बहुत बढ़िया, उत्तम । - आतंव-वि० [सं०] ऋतु-संबंधी; ऋतुमें उत्पन्न; मासिक आलात-पु० [सं०] जलती हुई लकड़ी, लुका-चक्र-पु० खावासबधा । पु० स्त्रियोंको मासिक धर्मके समय होनेवाला जलते हुए लुकको घुमानेसे बननेवाला मडल । रजःस्राव; स्त्री-रज ।-दोष-पु० मासिक धर्मकी गड़बड़, आलान-पु० [सं०] हाथी बाँधनेका खंभा, खूटा या रस्सा ऋतुदोष ।
बेड़ी, जंजीर; बंधन । आर्ति-स्त्री० [सं०] क्लेश, पीड़ा; रोग; मनोव्यथा; बुराई।।
आलाप-पु० [सं०] कथन; बातचीत संगीतके सातों स्वरः आर्थिक-वि०सं०] अर्थ-संबंधी, माली, रुपये-पैसेसे संबंध | स्वरोंका साधन, अलाप । रखनेवाला। -अवस्था-स्त्री० माली हालत ।
आलापक-वि० [सं०] गानेवाला; बातचीत करनेवाला । आद्र-वि० [सं०] गीला, तर, नम; रसयुक्त द्रवित,पिधला | आलापना-स० क्रि० आलापलना, नाना हुआ (स्नेहा, करुणार्द्र)।
आलापी (पिन)-वि० [सं०] बातचीत करनेवाला;
आरोही (हिन नपादकी और बाधापन; नम्रता चैन, दुःखी
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