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हठाश्लेष-हताश्रय हठाश्लेष-पु० [सं०] बलपूर्वक आलिंगन करना। हड्डियोंका जोड़ खुल जाना। -गढ़ना-बुरी तरह हठी(ठिन)-वि० [सं०] हठ करनेवाला, जिद्दी । पीटना । -गुड्डी तोड़ना,-तोड़ना-बुरी तरह पीटना । हठीला-वि० हठी; युद्ध में दृढ़ धीर ढ़संकल्प ।
-चबाना-किसी वस्तुका अभाव होनेपर भी उसे जबहड़-स्त्री० हरी; एक गहना, लटकन । पु० 'हाइका समा- | रदस्ती प्राप्त करनेका प्रयत्न करना। -बोलना-हड्डी सगत रूप। -कंप-पु० तहलका, आतंक । (मु०-कंप टूटना । -से हड़ी बजाना-लड़ना, लड़ाई-झगड़ा मचना-आतंक फैलना ।) -फूटनी-स्त्री. हड्डियों में | करना। -हड्डी चूसना-अशक्त व्यक्तिसे जबरदस्ती होनेवाला दर्द।
लेना, काम कराना भादि । हड्डियाँ दिखाई पड़ना,हड़क-स्त्री० पागल कुत्तेके काटनेसे उत्पन्न जलका भय, निकल आना-इतना दुबला हो जाना कि हड्डियाँ जलातंक; कोई वस्तु पानेकी उत्कट इच्छा।
दिखाई देने लगें। हड़कना-अ० कि० किसी वस्तु के लिए लालायित होना। हत-वि० [सं०] मार डाला हुआ; घायल किया हुआ; हड़का-पु० हड़कनेका भाव; तरसनेका भाव, तरस । ताडित, पीटा हुआ; फोड़ा हुआ (जैसे नेत्र); तंग किया हड़काना-स० क्रि० तरसाना; हतोत्साह करना; दूर हटा हुआ; विरहित; छला हुआ; विफलप्रयास, निराश, देना; तंग करने में किसीको प्रवृत्त करना।
भग्नहृदय; जिसमें बाधा डाली गयी हो, भ्रष्ट किया हड़काया-वि० उतावला; पागल (कुत्ता)।
हुआ; ध्वस्त, विलुप्त गुणित; ग्रस्त (कष्टसे); संपर्कमें आया हड़ताल-स्त्री० दे० 'हटताल' । -तोड़क-पु० (ब्लैकलेग) हुआ (ज्यो०) निकम्मा सदोष ।-किल्बिष-वि० जिसके वह कर्मचारी जो किसी कारखाने या व्यापारिक संस्था में पाप नष्ट हो गये हों। -चित्त,-चेता(तस.)-वि० हड़ताल हो जानेपर भी अपने मालिकके लिए काम वेसुध; घबड़ाया हुआ । -चेतन-वि० हतज्ञान । करनेको, हड़तालियोंकी चेष्टा विफल करनेको कटिबद्ध हो। -जीवन-पु० दुःखमय जोवन । -ज्ञान-वि० संज्ञाहड़प-पु० खूराक निगलना; ग्रास एक ही बार निगल हीन, बेसुध । -त्रप-वि० निर्लज्ज । -दैव-वि• हतजाना; बिना चबाये निगल जाना; किसीका माल लेकर भाग्य, भाग्यहीन। -द्विट(प)-वि. जिसने अपने हजम कर जाना।
शत्रुओंका नाश कर दिया है। -धी,-बुद्धि-वि० दे० हड़पना-स०कि. किसी वस्तुको अनुचित साधनों द्वारा 'हतचित्त' । -ध्वांत-वि० अंधकारसे मुक्त । -पुत्रकभी न देनेकी इच्छासे अपने अधिकार में कर लेना, वि० जिसके पुत्रकी हत्या की गयी हो। -प्रभ-वि. जबरदस्ती या चोरीसे किसी वस्तुको लेकर कभी न देना; जिसकी कांति क्षीण होगयी हो।-प्रभाव-वि.जिसका जल्दी (और प्रायः अधिक) खाना, निगलना।
प्रभाव नष्ट हो गया हो, अधिकारवंचित । -प्राय-वि० हड़प्पा-पु० दे० 'हड़प'; गाली जो मर्द औरतोंको देते हैं; जो करीब-करीब मार डाला गया हो।-भाग-भाग्यसिंधका एक स्थान जहाँ बहुत प्राचीन चिह्न पाये गये हैं। वि० भाग्यहीन, बदकिस्मत । -भागी* -वि० दे० 'हतहड़बड़-स्त्री० घबड़ाहटसे उत्पन्न जल्दबाजी, उतावली। भाग'। -वीर्य-वि०जिसकी शक्ति नष्ट हो गयी हो। हड़बड़ाना-अ० कि. हड़बड़ी, घबड़ाहटमें कोई काम -बीड-विनिर्लज्ज । -शिष्ट-शेष-वि० जो जीवित करना । स० क्रि० जल्दी कार्य करनेके लिए किसीको बच गया हो। -श्री-वि. जिसका वैभव नष्ट हो गया प्रेरित करना।
हो; मुरझाया हुआ, उदास । -संपद-वि० दे० 'हतश्री'। हड़बड़िया-वि० हड़बड़ी मचानेवाला, जल्दबाज ।
-स्त्रीक-वि० जिसने किसी स्त्रीका वध किया हो; हड़बड़ी-स्त्री० हड़बड़, जल्दबाजी, उतावली। मु०- | जिसकी स्त्री मार डाली गयी हो। -स्मर-पु०शिव । पड़ना-किसी कामके लिए जल्दबाजी होना; घबड़ाहट -स्वर-वि० जिसका स्वर भंग हो गया हो। -हृदयहोना । (पेटमे)-पड़ना -बहुत घबड़ाना । सवार वि० भग्नहृदय, हताश । होना-किसी कामको जल्दी करनेकी धुन होना। हतक-वि० [सं०] जिसे चोट पहुँचायी गयी हो;"से हड़हड़ाना-स० क्रि० 'हड़-हड़' शब्द करना; शीघ्र कार्य | ग्रस्त ( दुर्दैव आदिसे); दोन-दुःखी; पापी-'अब सजनी करनेके लिए किसोको प्रेरित करना । अ० कि. 'हड़-हड़' | दुनो चढ्यो हतक मनोजहिं दाप'-मतिराम । पु० नीच शब्द होना।
व्यक्ति भीर आदमी । स्त्री० [अ०] बेइज्जती, मानहानि, हड़हा-वि०हाड़-संबंधी; अस्थिशेष (व्यक्ति), जिसके शरीर- हे ठी; धृष्टता। -इज्जती-स्त्री० मानहानि, बेइज्जती ।
में हड्डी-हड्डी रह गयी हो, बहुत दुबला-पतला । इतना*-स० कि० जानसे मारना, वध करना; मारनाहडावरि, हडावल*-स्त्री. हड्डियोका ढेर, अस्थिपंजर, ठठरी; अस्थिमाल, हड्डियोंकी माला।
हतवाना*-स० क्रि० मरवा डालना पिटवाना। हडीला-वि० इड्रीवाला, अस्थिशेष (व्यक्ति), जिसके हता-स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसका सतीत्व भंग किया गया
शरीरमें हड्डियाँ ही रह गयी हों, बहुत दुबला-पतला। हो। * अ०कि. होनाका भूतकाल-था। हडु-पु० [सं०] अस्थि, हड्डी, हाड़। -ज-पु० मज्जा। हताना*-स० क्रि० दे० 'हतवाना। हडा-पु० भिड़की जातिका एक कीड़ा जो उससे कुछ हतावशेष-वि० [सं०] दे० 'हतशिष्ट' । बड़ा होता है।
हताश-वि० [सं०] जिसकी आशा नष्ट हो गयी हो; दीन। हड्डी-स्त्री० शरीरका वह कड़ा भाग जिससे उसका ढाँचा | हताश्रय-वि० [सं०] जिसका सहारा नष्ट हो गया हो, बनता है; (ला०) कुल, खानदान । मु०-उखड़ना- निराश्रय ।
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