SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 875
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुसिद्ध-सुहेला सुसिद्ध-वि० [सं०] अच्छी तरह पका या पकाया हुआ; सहाग-पु० सुहागिन होनेकी अवस्था, सौभाग्य, अहिवात; जिसे अच्छी सिद्धि प्राप्त हो। व्याहमें गाया जानेवाला मांगलिक गीत; वे गहने कपड़े सुसुकना-अ० कि. 'सिसकना । जो सुहागिन स्त्री पहनती है। वह कपड़ा जो व्याहके समय सुसुपि*-स्त्री० दे० 'सुषुप्ति। दूल्हा पहनता है; सौभाग्य-सूचक सिंदूर (देना, लेना); सुसेन-पु० दे० 'सुषेण'। एक तरहका इत्र, प्यार, मुहब्बत, प्रणय-चेष्टा ( अपना सुसेव्य-वि० [सं०] सेवा करने योग्य; आसानीसे अनु- सुहाग अपने पास रखो)। -घोड़ी-स्त्री० ब्याहके गीत धावन करने योग्य (मार्ग)। जो दूल्हेके घर में दुलहिनके रूप गुणके बखानमें गाये जाते सुस्त-वि० [फ०]ढीला; कमजोर; आलसी; धीमा; मंद- | हैं।-पिटारा-पु०,-पिटारी-स्त्री० गहनों और शृंगारबुद्धि; उदास, उतरा हुआ (चेहरा)। -क़दम-वि० सामग्रीका डिब्बा जो दूल्हेकी ओरसे दुलहिनको दिया धीमा चलनेवाला। जाता है ।-पुड़ा-पु०,-पुड़िया-स्त्री० गोट आदि लगासुस्तना, सुस्तनी-वि. स्त्री० [सं०] सुंदर स्तनों- कर कागजकी बनायी हुई सुंदर पुड़िया जिसमें सुगंधित वाली (स्त्री)। वस्तुएँ रखकर दुलहिनके लिए भेजी जाती हैं। -भरीसुस्ताई*-स्त्री० सुस्ती। वि० स्त्री० सुख-सौभाग्ययुक्त, सुखी । -रात-स्त्री. सुस्ताना-अ० क्रि० थकावट दूर करना, आराम करना। दुल्हे-दुलहिनके मिलनकी पहली रात। -सेज-स्त्री. सुस्ती-स्त्री० [फा०] ढिलाई; कमजोरी; आलस्य; पुरुर्षे बरातका पलंग जिसपर दूल्हा दुलहिन सोते हैं। मु०द्रियकी शिथिलता। मु०-उतारना,-तोड़ना-अंगड़ाई उजड़ना-विधवा होना। -उतरना-पतिके मरनेपर लेना। पलीके शरीरसे सुहागकी चीजों (चूड़ियाँ, सिंदूर आदि)का सुस्तैन*-पु० दे० 'स्वस्त्ययन' । उतारा जाना; विधवा होना । -मनाना-सौभाग्य, सुस्थ-वि० [सं०] सुखपूर्वक स्थित स्वस्थ, सुखी; उन्नति- अहिवातकी कामना करना । शील । -चित्त,-मानस-वि० प्रसन्नचित्त सुखी। सहागन, सुहागिन-स्त्री० वह स्त्री जिसका पति जीता हो, सस्थता-स्त्री० [सं०] आरोग्य, स्वास्थ्य सुख प्रसन्नता। | सधवा, सौभाग्यवती। सुस्थिति-स्त्री० [सं०] अच्छी हालत सुखकी स्थिति सुहागा-पु. एक क्षारद्रव्य जो सोना गलाने और दवाके अभ्युदय। काम आता है; + लकड़ीका आला जिससे किसान खेतके सस्थिर-वि० [सं०] अधिक स्थिर, खूब दृढ़ शांत । । मिट्टीके ढेले तोड़ते हैं। सुनात-वि० [सं०] जिसने यशोपरांत स्नान किया हो; सहागिनि, सहागिनी, सहागिल*-स्त्री०दे० सुहागिन'। अच्छी तरह स्नान किया हुआ। सुहाता-वि० सहने लायक । सुस्पर्श-वि० [सं०] छूने में बहुत अच्छा मालूम होनेवाला, सहाना-अ० क्रि० शोभित होना, सुंदर लगना, फबना, मुलायम, कोमल । भाना, पसंद आना । वि० सुंदर, सुहावना । सुस्मित-वि० [सं०] मधुर हास्ययुक्त, मुस्कराता हुआ। सुहाया-वि० सुहावना । सुस्मिता-स्त्री० [सं०] हँसमुख स्त्री। सुहारी-स्त्री० सादी पूरी। सस्वर-वि० [सं०] सुमधुर स्वरवाला; सुरीला; जोरका सहाल-पु० एक नमकीन पकवान जो मैदे में मोयन देकर (शब्द) । पु० मधुर शब्द; शंख, गरुड़का एक पुत्र । बनाया जाता है। सुस्वाद-वि० [सं०] अच्छे स्वादका, जायकेदार; मीठा। सुहाव*-वि० दे० 'सुहावना' । पु० सुंदर हाव । सुस्वादु-वि० [सं०] दे० 'सुस्वाद'। -तोय-वि० मीठे सुहावता-वि० सुहानेवाला। जलवाला। सुहावन*-वि० दे० 'सुहावना'। सुहंग*-वि० दे० 'सुहँगा। सुहावना-वि० सुंदर, मला लगनेवाला। सहंगम*-वि० सरल, सुगम । सुहावला*-वि० दे० 'सुहावना' । सुहँगा-वि० सस्ता, महँगाका उलटा । सुहास-पु० [सं०] सुंदर, मृदु हास । सुहटा*-वि० सुंदर, सुहावना । सुहासिनी-वि० स्त्री० [सं०] सुंदर हँसो हँसनेवाली, मधुर सुहनी*-स्त्री० दे० 'सोहनी' । मुस्कानयुक्त (स्त्री)। सुहबत-स्त्री० [अ०] संग, साथ; मित्रता; साथ उठना- सुहृत्-वि० [सं०] सुंदर, स्नेहयुक्त हृदयवाला । पु०मित्र; बैठना; जलसा, गोष्ठी, सहवास, मैथुन । मु०-उठाना- कुंडली में लग्नसे चौथा स्थान । -त्याग-पु. मित्रका किसीकी सुहबतमें रहकर कुछ सीखना; पास रहना। परित्याग। -प्राप्ति-स्त्री०मित्रकी प्राप्ति। , -बिगड़ना-अनबन हो जाना, मित्रता भंग हो जाना; सुहृत्ता-स्त्री० [सं०] मैत्री, दोस्ती । खराब सुहबत में पड़ जाना। सुहृदय-वि० [सं०] सुंदर हृदयवाला; स्नेही । सहबती-वि० साथ उठने-बैठनेवाला; मैत्रीभाव रखनेवाला। सुहृद्-वि०, पु० [सं०] दे० 'सुहृत्' । -बल-पु० मित्रसहराब-पु० [फा०] रुस्तमका बेटा जो उसीके हाथों (राजा)की सेना। -भेद-पु.मित्रका पृथक होना। मारा गया। सुहेल-पु० दे० 'सुहैल'। सुहल*-पु० दे० 'सुहेल'। सुहेलरा*- वि० दे० 'सुहेला' । सुहा-पु. लाल नामकी चिड़िया । सुहेला-वि० सुहावना सुखद। पु०मंगलगीत*प्रियजन । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy