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रंग।
सुवार-
संदर वास,
सुलागना-सुवृत्त
८६४ सुलागना*-अ० क्रि० दे० 'सुलगना' ।
खानोंवाली, स्वर्णप्रसवा (भूमि)। -गिरि-पु० एक पर्वत सुलाना-सक्रि० किसीको सोने या लेटने में प्रवृत्त करना। (जो राजगृहमें है)। -गैरिक-पु. लाल गेरू ।-द्वीपसुलाह*-स्त्री० दे० 'सुलह ।
पु० सुमात्रा टापू । -धेनु-स्त्री० दानके लिए निर्मित सुलिपि-स्त्री० [सं०] उत्तम, स्पष्ट लिपि ।
सोनेकी गाय । -पद्म-पु० लाल कमल । -पृष्ठ-वि० सुलूक-पु० [अ०] बर्ताव, व्यवहार, आचरणानेकी,मलाई जिसकी सतह सोनेकी हो, जिसपर सोनेका पत्तर चढ़ाया
मेल; मुहब्बत (सुलूकसे रहना); ईश्वरसामीप्यकी इच्छा । गया हो। -प्रतिमा-स्त्री० सोनेको मूर्ति । -मानसुलेख-वि० [सं०] शुभ रेखाओंवाला। पु० अच्छी पु० (गोल्ड स्टैंडर्ड) वह मुद्रा-प्रणाली जिसमें बैकके नोटोंलिखावट ।
(कागजी मुद्रा) का भुगतान किसी भी समय, निर्धारित सुलेखक-पु० [सं०] सुंदर अक्षर लिखनेवाला,खुशनवीस दरके अनुसार, सुवर्णके रूपमें किया जा सके। -मित्रसुंदर लेख, निबंध लिखनेवाला, प्रसिद्ध लेखक ।
पु० सुहागा। -यूथिका,-यूथी-स्त्री. सोनजूही। सुलेमाँ-पु० दे० 'सुलैमान'।
-रंभा-स्त्री. चंपाकेला । -लेखा-स्त्री० (कसौटपरकी) सुलैमान-पु० [फा०] दाऊदका बेटा; यहूदियोंका तीसरा | सोनेकी लकीर । -सूत्र-पु० सोनेकी सिकड़ी।
बादशाह जिसने यरूशलम नगरका निर्माण कराया। सुवर्षा-स्त्री० [सं०] अच्छी वर्षा; मलिका, मोतिया। सुलोक-पु० [सं०] स्वर्ग ।
सुवस*-वि० जो अपने अधिकारमें हो। सुलोचन-वि० [सं०] सुंदर आँखोंवाला । पु० हिरन । सुबह-वि० [सं०] सुखसे वहन करने योग्य; धीर । सुलोचना-वि० स्त्री० [सं०] सुंदर आँखोंवाली। सी० सुवा*-पु० सुग्गा, तोता। मेघनादकी पत्नी जो वासुकि नागकी कन्या थी। सुवाग्मी(ग्मिन्)-वि०, पु० [सं०] सुवक्ता । सुलोचनी-वि० स्त्री० दे० 'सुलोचना' ।
सुवाच्य-वि० [सं०] आसानीसे पढ़े जाने योग्य । सुलोम-वि० [सं०] सुंदर रोमों या बालोंबाला। . सुवाना*-स० कि० दे० 'सुलाना'। सुलोहित-वि० [सं०] गहरा लाल। पु० सुंदर लाल रंग। सुवार-पु० [सं०] सुंदर दिन * सूपकार, रसोइया । सुव*-पु० पुत्र ।
सुवास-पु० [सं०] सुंदर वास, सुगंध; सुंदर आवास । सुवक्ता(क्त)-वि०, पु० [सं०] सुंदर वक्ता, वाग्मी । सुवासित-वि० [सं०] सुवासयुक्त, सुगंधित । सुवक्त्र-वि० [सं०] सुंदर मुखवाला, सुमुख ।
सुवासिन*-स्त्री० दे० 'सुआसिन'। सुवक्षा-स्त्री० [सं०] त्रिजटा और विभीषणकी माता । सुवासिनी-स्त्री० [सं०] पिताके घर में रहनेवाली युवती सुवक्षा(क्षस)-वि० [सं०] सुंदर, चौड़ी छातीवाला। सुहागिन, भद्र सधवा स्त्रीके लिए प्रयोगमें आनेवाला सुवच-वि० [सं०] जो आसानीसे कहा जा सके। एक आदर-सूचक शब्द । सुवचन-पु० [सं०] सुंदर वचन। वि० सुवक्ता:मधुरभाषी! | सविख्यात-वि० [सं०] बहुत प्रसिद्ध । सुवटा*-पु० दे० 'सुअटा'।
सुविग्रह-वि० [सं०] सुंदर देहवाला, रूपवान् । सुवदन-वि० [सं०] सुंदर मुखवाला। पु० एक पौधा । सविचारित-वि० [सं०] भली भाँति सोचा-बिचारा हुआ। सुवदना-वि० स्त्री० [सं०] सुमुखी । स्त्री० एक वृत्त । सुविदग्ध-वि० [सं०] बहुत चालाक, काइयाँ । सुवन-* वि० अच्छे मनवाला । * पु० पुत्रः पुष्प, सुमन सुविदित-वि० [सं०] अच्छी तरह विदित, शात । देवता; पंडित; [सं०] सूर्यः अग्नि, चंद्रमा ।
सुवि-पु० [सं०] विद्वान् या चतुर व्यक्ति। वि० विद्वान् । सुवना*-पु० तोता।
सुविद्य-वि० [सं०] बड़ा विद्वान्, सुपंडित । सुवनारा*-पु० दे० 'सुअन'।
सुविधा-स्त्री० दे० 'सुभीता'। सुवपु(स.)-वि० [सं०] सुंदर शरीरवाला ।
सुविधाधिकार-पु० (राइट ऑफ ईज़मेंट) किसीकी भूमि, सुवरण-पु० सुवर्ण, सोना; धन; अच्छी जाति; अच्छा पथ आदिका अपने आरामके लिए प्रयोग करने या अपनी रंग; अच्छा शब्द ।
भूमि आदिका दूसरे द्वारा दुरुपयोग होनेसे रोकनेका सुवर्चक, सुवर्चिक-पु० [सं०] सज्जी।
अधिकार । सुवर्चल-पु० [सं०] एक देश काला नमक; शिव । सुविधायक कोष-पु० (प्रॉविडेंट फंड) दे० भविष्य निधि', सवर्चला-स्त्री० [सं०] सूर्यकी पत्नी, ब्राह्मी; अलसी, संचित कोष । आदित्यभक्ता, हुरहुर, सूर्यमुखी फूल ।
सुविधि-स्त्री० [सं०] अच्छा नियम या आदेशा अच्छा ढंग । सुवर्चस-पु० [सं०] शिव । वि० दीप्तिमान् ।
सुविनीत-वि० [सं०] अति विनीतअच्छी तरह सिखाया, सुवर्चस्क-वि० [सं०] कांतिमान्, दीप्तिमान् । | सधाया हुआ (घोड़ा आदि)। सुवर्ण-वि० [सं०] अच्छे रंगका पीला, सुनहला, चम-सुविस्मित-वि० [सं०] बहुत चकित: बहुत आश्चर्यजनक । कीला; सोनेका बना हुआ; अच्छी जातिका प्रसिद्ध । सुविहित-वि० [सं०] अच्छी तरह किया हुभा; अच्छी पु० अच्छा रंग; अच्छी जाति; सोना; एक यश; शिव; तरह रखा हुआ; सुव्यवस्थित ।। धतूरा; सोनेका सिक्का, धन, दौलत एक तरहका गेरू, सुवीज-पु०, वि० [सं०] दे० 'सुबीज' ।। स्वर्णगैरिक। -कदली-स्त्री. चंपाकेला। -कमल- सुवीर-वि० [सं०] बहुत बड़ा वीर, योद्धा; बहुतसे वीरों, पु० रक्त कमल । -करनी*-स्त्री० एक जड़ी। -कार, पुत्रों आदिवाला। पु० स्कंद; शिव; बेरका पेड़।। -कृतू-पु० सुनार । -गर्भा-वि० स्त्री० सोनेकी सवृत्त-वि० [सं०] सच्चरित्र, नेक; खूब गोल; अच्छे छंदमें
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