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हुआ; सुन्न; मुँदा हुआ; संकुचित ( जैसे पुष्प ); निष्क्रिय, बेकार; सुस्त; अविकसित (शक्ति) । - घातक - वि० सोये हुएकी हत्या करनेवाला, हिंस्र । -ज्ञान-विज्ञान - पु० स्वप्न देखना; स्वप्न -प्रबुद्ध - वि० सोकर जागा हुआ । - प्रलपित - पु० ( स्वप्नावस्था में ) बर्राना । वाक्य- पु० स्वप्नावस्था में निकले हुए शब्द । सुप्तता - स्त्री०, सुप्तत्व-पु० [सं०] निद्रित होनेका भाव; नींद; निश्चेष्टता (अंगकी) ।
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सुप्तांग - पु० [सं०] वह अंग जो सुन्न, निश्चेष्ट हो गया हो । सुप्ति - स्त्री० [सं०] नींद, ऊँघ; सपना; सुन्न हो जाना । सुप्तोत्थित - वि० [सं०] सोकर उठा हुआ । सुप्रज- वि० [सं०] अधिक या अच्छी संतानोंवाला । सुप्रतिज्ञ - वि० [सं०] अपनी प्रतिज्ञापर दृढ़ रहनेवाला । सुप्रतिष्ठ - वि० [सं०] ढ़तापूर्वक स्थित रहनेवाला; अच्छी प्रतिष्ठावाला; सुप्रसिद्ध ।
सुप्रतिष्ठा - स्त्री० [सं०] सुंदर प्रतिष्ठा; प्रसिद्धि | सुप्रतिष्ठित - वि० [सं०] सुंदर प्रतिष्ठायुक्तः सुप्रसिद्ध; ढ़तापूर्वक स्थित; अच्छी तरह स्थापित किया हुआ । सुप्रयुक्त - वि० [सं०] ठीक तरहसे चलाया या प्रयुक्त किया हुआ; सुंदर ढंग पाठ किया हुआ; ( कपट) जिसकी योजना खूब सोच-विचारकर बनायी गयी हो; सुव्यवस्थित सुप्रसन्न - वि० [सं०] बहुत खुश; बहुत साफ (जैसे जल ); बहुत चमकीला (जैसे चेहरा ); बहुत अनुकूल या कृपालु । सुप्रसव - पु० [सं०] आसानीसे, बिना कष्टके होनेवाला
प्रसव |
सुप्रसिद्ध - वि० [सं०] अति प्रसिद्ध, खूब मशहूर | सुप्राप, सुप्राप्य - वि० [सं०] सुलभ । सुप्रिया - वि० स्त्री० [सं०] अति प्यारी । स्त्री० एक अप्सरा; एक छंद; प्रिय पत्नी ।
सुफल - पु० [सं०] सुंदर फल; अनार; बेर; कैथ । वि० सुंदर फलोंसे युक्त; सुंदर फलवाला ( खङ्गादि), सफल (हिं०) । सुफलक* - पु०श्वफरक, अक्रूरके पिता । - सुत - पु०अक्रूर । सुफेद - वि० दे० 'सफ ेद' । सुबंत - वि० [सं०] प्रथमासे सप्तमीतककी विभक्तियोंसे युक्त . (शब्द) । -पद-पु० कारक विभक्तियुक्त शब्द । सुबंधु - पु० [सं०] अच्छा भाई; एक बौद्ध नाटककार । सुबरन* - पु० सोना, सुवर्ण, अच्छा रंग; सुंदर अक्षर ( शब्द ) - ' सुबरन कहूँ ढूँढ़त फिरें कवि, विभिचारी, चोर' । सुबल-वि० [सं०] अति बली । पु० शिवः शकुनिका पिता; कृष्णका एक सखा; एक दिव्य पक्षी (वैनतेयका पुत्र ) । सुबस* - वि० अच्छी तरह बसा हुआ; स्वाधीन । अ० स्वेच्छापूर्वक, आजादी से; के कारण ।
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सुप्ततां - सुभानु
का डर न रहे । - कर देना- रात गुजार देना । -का निकला शामको आना-आवारागर्दी करना । - शाम करना - टाल-मटोल, आज-कल करना । सुबहान, सुभान* - अ० पवित्र परमेश्वर । सुबास - स्त्री० दे० 'सुगंध' ।
सुबासना * - स्त्री० सुगंध । स० क्रि० सुवासित करना । सुबासिक, सुबासित - वि० दे० 'सुवासित' । सुबाहु - पु० [सं०] एक राक्षस जो मारीचका भाई था और उसके साथ विश्वामित्रके यशमें विघ्न करते हुए राम-लक्ष्मणसे पराजित हुआ । वि० सुंदर या बलवान् बाँहोंवाला । * स्त्री० सेना, फौज । - शत्रु-पु० राम । सुबिस्ता - पु० सुभीता, सुविधा ।
सुबीज - पु० [सं०] अच्छा बीज; खसखस; शिव । वि० सुंदर या अच्छे बीजोंवाला । सुबीता - पु० दे० 'सुभीता' ।
सुबुक - वि० [फा०] इलका; नाजुक; तेज, चुस्त; * सुंदर । - दस्त - वि० फुरतीसे काम करनेवाला, लघुहस्त । - दस्ती - स्त्री० हाथकी फुरती, हस्तलाघव | सुबुद्धि - स्त्री० [सं०] अच्छी, सुंदर बुद्धि । वि० अच्छी बुद्धिवाला, बुद्धिमान् । सुबू - स्त्री० दे० 'सुबह' । सुबूत - पु० [अ०] प्रमाण; साक्ष्य से सिद्धि । सुबोध-वि० [सं०] जो सहज ही समझमें आये, आसान । सुभंग - वि० [सं०] जो आसानी से टूट जाय, तुनुक । पु० नारियलका पेड़ ।
सुभ* - वि० दे० 'शुभ' । सुभक्ष्य - पु० [सं०] बढ़िया भोजन । सुभग - वि० [सं०] भाग्यवान् ; सुंदर; प्रिय; नाजुक । सुभगा - वि० स्त्री० [सं०] सुंदरी; सुहागिन स्त्री० पतिप्रिया, पतिकी प्यारी स्त्री; (दुर्गाके प्रतीक के रूपमें पूजी जानेवाली) पंचवर्षीया कुमारी; एक रागिनी; हल्दी । सुभग्ग * - वि० दे० 'सुभग' | सुभट - पु० [सं०] रणकुशल योद्धा । सुभटवंत* - पु० दे० 'सुभट' ।
सुभट्ट - पु० नामी योद्धा; [सं०] बहुत बड़ा पंडित । सुभद्र - वि० [सं०] अति शुभ, अति मांगलिक । सुभद्रा - स्त्री० [सं०] कृष्णकी बहिन जिसे अर्जुनने हरण करके ब्याह किया और जिससे अभिमन्युकी उत्पत्ति हुई । सुभद्रेश - पु० [सं०] अर्जुन । सुभर - वि०अच्छी तरह भरा हुआ; सुपुष्ट- 'सिर औ पायँ सुभर गिउ छोटी' - ५०१ शुभ्र, उज्ज्वल - 'मानसरोवर सुभर जल हंसा केलि कराहि' - कबीर; [सं०] घना; प्रचुर । सुभाइ* - पु० दे० 'स्वभाव' । * अ० दे० 'स्वभावतः " । सुभाउ* - पु० दे० 'स्वभाव' । सुभाग - वि० [सं०] भाग्यवान् । * पु० सौभाग्य | सुभागी - वि० भाग्यवान् । सुभागीन* - वि० सौभाग्यशाली । सुभाग्य* - पु० दे० 'सौभाग्य' ।
सुबह - स्त्री० [अ० 'सुबह' ] सवेरा, भोर, प्रातःकाल । - दुम- अ० गजरदम, मुहँ अँधेरे । -सुबह- अ० बहुत सबेरे, तड़के | - का तारा, - का सितारा- शुक्र ग्रह । - का सफेदा - पौ फटने के समयका उजाला । - से शामतक - सारा दिन । मु० - उठकर हाथ देखना- सबेरे आँख खुलते ही अपने दोनों हाथों की रेखाएँ देखना, जिसमें किसी मनहूसका मुँह देखनेसे अधिक अनिष्ट होने
सुभाना* - अ० क्रि० सुहाना, शोभित होना । सुभानु - वि० [सं०] सुंदर दीप्तियुक्त | पु० कृष्णका एक
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