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सिधारना-सियासत -रघु०।
सिफत-स्त्री० [अ०] गुण, विशेषता लक्षण; विशेषणपद । सिधारना-अ० क्रि० जाना, प्रस्थान करना; विदा, रवाना सिफर-पु० [अ०] विदुः शून्य । वि० मूल्यरहित । होना; मर जाना । * स० क्रि० सुधारना ।
सिफलगी-सी० कमीनापन, नीचता । सिधि*-स्त्री० दे० 'सिद्धि। -गुटका-पु० दे० 'सिद्ध- सिफ़ला-वि० [अ०] कमीना, नीच, क्षुद्र, छिछोरा । गुटिका'।
-पन-पु० ओछापन, नीचता। सिध्मा-स्त्री० [सं०] कुष्ठका दाग, कुष्ठ रोग ।
सिफली-वि० [अ०] नीचेका, निचला। -अमल-पु० सिन(अ)-पु० [अ०] उम्र, वय ।
वह मंत्र जिसमें शैतान या प्रेतात्माओंसे सहायता ली जाय । सिनक-स्त्री० नाकका मल, रेंट ।
सिफा-स्त्री० दे० 'शिफा'। सिनकना-सक्रि० साँसके झोंकेसे नाकका मल निका- सितारत-स्त्री० [अ०] सफीर (दूत)का पद या काम, लना, छिनकना।
दूतत्व; एक राज्यसे दूसरेको भेजा हुआ प्रतिनिधिमंडल । सिनी-स्त्री० [सं०] गौरवर्णकी स्त्री।
-खाना-पु० दूतावास, राजदूतका दफ्तर । सिनीवाली-स्त्री० [सं०] एक वैदिक देवी; शुक्ल पक्षकी सिफारिश-स्त्री० [फा०] किसीके विषयमें भलाईकी बात प्रतिपदा।
कहना; किसीका कोई काम करने के लिए दूसरेसे कहना; सिनेट-स्त्री० [अं०] विश्वविद्यालयकी प्रबंध समिति । किसी में किसी पद, कार्य इत्यादिकी योग्यता बताना; सिनेमा-पु. [अं०] चलचित्र, छायाचित्र; बह स्थान जहाँ। खुशामद; जरीया (क०)।-नामा-पु०सिफारिशी चिट्टी।
चलचित्र प्रदर्शित किये जायें।-हाउस-पु० सिनेमाघर । सिफारिशी-वि० [फा०] जिसमें किसीकी सिफारिश की सिमी -स्त्री० मिठाई खुशीमें या देवताको चढ़ाकर प्रसाद गयी हो; सिफारिश करनेवाला ।-टटू-पु० वह आदमी के रूपमें बाँटी जानेवाली मिठाई।
जो योग्यताके बिना, महज सिफारिश या चापलूसीसे सिपर-स्त्री० [फा०] ढाल, फरी; रोका (ला) पनाह | कोई पद पा जाय। मददगार । मु०-डाल या फेंक देना-हथियार डाल सिताल-पु० [फा०] मिट्टीका बरतन; ठीकरा । देना, हार मान लेना । - पर लेना-हिफाजतके लिए | सिफ़ाला-पु० [फा०] मिट्टीका बरतन; ठीकरा खपड़ा। ढाल उठाना।
सिविका*-स्त्री० दे० शिविका'। सिपरा-स्त्री० दे० 'सिप्रा'
सिमंत*-पु० दे० 'सीमंत' । सिपह-पु० [फा०] 'सिपाह'का लधु रूप। -गरी-स्त्री० सिमई-स्त्री० सिवई। सिपाहीका काम या पेशा,सैनिकवृत्ति । -दार-पु० सेना सिमटना-अ० क्रि० सिकुड़ना, संकुचित होना; सिकुड़न नायक । -सालार-पु० सेनापति ।
पड़ना; एकत्र होना, बटुरना; लज्जित हो जाना,सहमना। सिपाई*-पु० दे० 'सिपाही'।
सिमरना*-स० क्रि० दे० स्मरण, याद करना। सिपारसा-स्त्री० दे० 'सिफारिश' ।
सिमल-पु० हलका जूआ जूएकी खूटी। सिपारसी -वि० दे० 'सिफारिशी'।
सिमाना -पु० हद, सीवाना । * सक्रि०दे०सिलाना। सिपारिश-स्त्री० [फा०] दे० 'सिफारिश' ।
सिमिटना*-अ० क्रि० दे० सिमटना। सिपाह-पु० [फा०] सेना, फौज । -गरी-स्त्री० सिपाही सिमृति*-स्त्री० दे० 'स्मृति' ।
का काम या पेशा, सैनिक वृत्ति ।-सालार-दे० 'सिपह- सिमेटना*-स० क्रि० दे० 'समेटना' । सालार।
सिय*-स्त्री० सीता। सिपाहियाना-वि० [फा०] सिपाहियोंकासा, सैनिकोचित | सियना*-स० कि० सर्जन करना, बनाना, उत्पन्न करना; (सिपा० ठाट)।
+सीना। सिपाही-पु० [फा०] सैनिक योद्धा कांस्टेबिल, चपरासी। सियरा*-वि० शीतल, ठंडा कच्चा । पु० छायासियार। सिपुर्द-वि० [फा०] सौंपा हुआ, हवाले किया हुआ। सियराई-स्त्री० शीतलता, ठंढक ।
-गी-स्त्री० सिपुर्द करनेका भाव; तहबील, हिरासत । सियराना-अ० कि० शीतल, ठंडा होना। (""में लेना)। -नामा-पु० सिपुर्द करनेका लेख, सम• सिया*-स्त्री० सीता, जानकी। र्पणपत्र । म०-करना-सौंपना, हवाले करना: हिरासत-सियादत-स्त्री० [अ० सरदारी,बड़ाई:राज्य: सैयद जाति ।
सियाना-वि० दे० 'सयाना' । स० कि० दे 'सिलाना' । सिप्पर*-स्त्री० दे० 'सिपर'।
सियापा-पु० स्त्रियोंका एकत्र होकर कुछ दिनोंतक मातम सिप्पा-पु० सीपका अर्थाश ढब निशाना; मतलब; काम | मनाना (पंजाब आदिका एक रिवाज); मातम । निकालनेका उपाय, डौल, टिप्पस धाक । मु०-जमाना-सियारी-पु. गीदड़, शृगाल ।-लाठी-स्त्री०अमलतास । भूमिका बाँधना, डौल खड़ा करना । -भिड़ना,-लड़ना सियाल*-पु० शृगाल, गीदड़।। -मौका मिलना, उपाय लग जाना। -भिडाना,-सियाली -वि. जाड़ेके मौसिमका; जाड़ेमें होनेवाली लड़ाना-टिप्पस जमाना, तदबीर करना । -मारना,- (फसल) । स्त्री० एक तरहका विदारी कंद ।
लगाना-निशाना लगाना, फंदा लगाना,जाल डालना। सियासत-स्त्री० [अ०] देशरक्षा; राज्यप्रबंध; राजकाज%B सिप्रा-स्त्री० [सं०] स्त्रियोंका कटिबंध; भैस, एक झील; दंड; शास्ति; दबदबा, भय मारपीट । -दा-विराजउज्जैनके पासकी एक नदी ।
नीतिज्ञा शासनपट्ट।
में देना।
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