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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साबर-सामाजिक उतारते हैं। -नामा-पु० राजीनामा । -विद्-वि० सामवेदका ज्ञाता। -वेद-पु० तीसरा साबर-पु० एक मंत्र जो शिवका बनाया माना जाता है। वेद । -वेदी(दिन)-पु० सामवेद जाननेवाला ब्राह्मण । साँभर हिरन या उसका चमड़ा; सेंहुड़ मिट्टी आदि खोद- -साली*-वि०, पु० राजनीतिज्ञ । नेका रुखानी जैसा एक औजार, सबरी । सामग्री-स्त्री० [सं०] आवश्यक वस्तुओंका समूह,सामान, साबल-पु० भाला, बरछी; सबरी । माल-असबाब प्रयोजन-संबंधी वस्तुएँ, उपकरण; साधन । साबिक-वि० [अ०] पिछला, बीता हुआ, गत । -दस सामत*-स्त्री० शामत, विपत्ति, बदकिस्मती । पु०सामंत । -अ० पुराने दस्तूर, रीतिके अनुसार, यथापूर्व । -में- | सामध*-पु० समधियोंका । आपसमें मिलना (एक रस्म) अतीत कालमें, पहले। -'सामध देखि देव अनुरागे'-रामा० । साबिका-पु० [अ०] वास्ता, सरोकार काम (पड़ना, सामना-पु० मुकाबला; भेंट; लड़ाई, भित, मुठभेड़ होना)। किसी चीजका अगला हिस्सा, मोहरागुस्ताखी, धृष्टता । साबित-वि० [अ०] स्थिर; दृढ़ सिद्ध प्रमाणित, साबूत, सामने-अ० आगे मुकाबलेमें; रूबरू; मौजूदगी में सीधमें। अखंड, समूचा। -क़दम-वि० दृढ़, वचन, निश्चयपर मु०-आना-मुकाबलेमें आना; रूबरू होना; मुँह दृढ़ रहनेवाला। दिखाना; दिखाई देना। -करना-मुकाबले में लाना; साबिर-वि० [अ०] सब करनेवाला, सहन करनेवाला। पेश करना; आगे करना। -का-आगेका, मौजूदगीका; साबुन-पु० दे० 'साबून'। अपना देखा हुआ। -की चोट-खुली हुई चोट । -की साबूदाना-पु० दे० 'सागूदाना' । बात-मौजूदगीका हाल ।-पड़ना-रोककर खड़ा होना; साबून-पु० [अ०] कास्टिक सोडा, सज्जी, तेल आदिके। संयोगसे मिल जाना। -से उठ जाना-मौजूदगीमें योगसे प्रस्तुत एक प्रसाधन जिसे पानी में रगड़नेसे फेन | न रहना; मर जाना। -होना-रूबरू होना; परदा न निकलता और जो शरीर, कपड़े आदि साफ करनेके काम करना; मुकाबला करना; लड़नेको तैयार होना; धृष्टता आता है। -साजी-स्त्री० साबुन बनानेका धंधा। पूर्वक बर्ताव करना। साभिप्राय-वि० [सं०] अभिप्राययुक्त विशेष अर्थयुक्त सामयिक-वि० [सं०] समयोचित, समयके विचारसे उपअपने निश्चय पर द; विशेष प्रयोजनवाला । युक्त समय-संबंधी; वर्तमानकाल-संबंधी; जो ठहरावके साभिमान-वि० [सं०]गवीला, धमंडी । अ०धमंडके साथ। मुताबिक हो; अस्थायी नियत समयपर होने या निकलने सामंजस्य-पु० [सं०] औचित्य संगति; अनुकूलता उप- वाला । -पत्र-पु० नियत समयपर प्रकाशित होनेवाले युक्तता; विरोध, विषमता न होना, मेल । पत्र या पत्रिकाएँ; (पीरियाडिकल) दे० 'सावधिक पत्र' । सामंत-वि० [सं०] सीमावर्ती, पड़ोसी, सार्वभौम । पु० -वार्ता--स्त्री० (टॉपिकल टॉक) आकाशवाणी द्वारा प्रसापड़ोसी; पड़ोसका राजा; कर देनेवाला राजा; मांडलिक, रित की जानेवाली सामयिक घटनाओं या किसी सामयिक बड़ा जमींदार, योद्धा नायक पड़ोस ।-चक्र-पु० पड़ोस- प्रश्न, विषय आदिकी चर्चा; मुकदमेकी शामिल पैरवीके के राजाओंका मंडल। -तंत्र-वाद-पु० (फ्यूडल लिए (बहुतोंका) लिखा जानेवाला इकरारनामा । सिस्टम, फ्यूडलिज्म) किसी राज्यकी वह शासन व्यवस्था सामर-* पु० समर । * वि० श्याम रंगका; [सं०] देवजिसमें राज्यकी भूमि बड़े-बड़े सामंतों, सरदारों या जमी- युक्त, समर-संबंधी। दारोंके जिम्मे रहती थी और ये उसके बदले राजाको सामरथ, सामी -स्त्री० दे० 'सामर्थ्य'। आर्थिक या सैनिक सहायता देते थे।। सामराधिप-पु० सेनापति । सामंतेश्वर-पु० [सं०] सम्राट्, राजेश्वर । सामरिक-वि० [सं०] युद्ध-संबंधी; समरका । साम-पु० एशियाका एक देश, स्यामः [अ०] नूहका बड़ा सामरिकता-स्त्री० [सं०] युद्धकार्यों में लग्न रहना, लड़ाईबेटा, अरब, यहूदी, मिस्री आदि जिसकी संतान माने | भिड़ाई। जाते हैं। वि० [सं०] जो अच्छी तरह पचा न हो; * सामरेय-वि० [सं०] समर-संबंधी । श्याम, काले रंगका । स्त्री० दे० 'शाम'; शामी। सामर्थ-स्त्री० दे० 'सामर्थ्य' । साम(न)-पु० [सं०] चार वेदोंमेंसे एक; वेदके गेय मंत्र; सामर्थ्य-पु०, स्त्री० [सं०] शक्ति, बल, क्षमता; शब्दकी स्तुतिमंत्र; शांत करना; तुष्ट करना; राजाके चार उपायों- अर्थशक्ति । -हीन-वि० शक्तिहीन, निर्बल। मेंसे एक (कह-सुनकर अपनी ओर कर लेना); मधुर सामवायिक-वि० [सं०] समूह, दल-संबंधी; अभेद्य संबंधवचन; कोमलता, नरमीयत ।-कारी(रिन)-वि० ढाढ़स विषयक। -राज्य-पु० युद्ध भयसे आत्मरक्षार्थ मैत्री बधानेवाला, शांत करनेवाला; मधुरभाषी । पु० सामका | करनेवाला राज्य (को०)। निर्माता एक तरहका सामगान। -ग-पु. सामवेदी सामसाली-वि०, पु० दे० 'साम'में । ब्राह्मण; विष्णु ।-गर्भ-पु० विष्णु |-गान-पु० सामका | सामस्त*-वि० दे० 'समस्त'। गायक: सामका गान -गान-प्रिय-पु.शिव ।-गाय,-सामहिं, सामहि*-अ० सामने, समक्ष । गीत-पु० सामका गान । -गायक-पु० सामवेदी | सामाँ, सामा-पु० साँवाँ सामान । खी० डील, प्रबंध । ब्राह्मण । -गायी(यिन)-वि०, पु० साम गानेवाला। सामाजिक-वि० [सं०] समाज-संबंधी समाजमें पाया -वय-पु० सोंठ, हरें और गिलोयकासमाहार ।-ध्वनि जानेवाला । -व्यवस्था-स्त्री० (सोशल आर्डर) समाजके -स्त्री० सामगानकी ध्वनि । -वाद-पु० मीठे वचन ।। निर्माणादिका ढंग ।-सुरक्षा-स्त्री० (सोशल सिक्यूरिटी) For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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