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लकी-ह
सल्लकी - स्त्री० [सं०] सलईका पेड़ |
सल्लम - पु०, स्त्री० एक मोटा कपड़ा, गजी, गाढ़ा । सव - पु० * शव ।
सवत, सवति * - स्त्री० दे० 'सौत' ।
सवत्स - वि० [सं०] जो बछड़े के साथ हो; संतानयुक्त । सवधूक - वि० [सं०] सपत्नीक |
सवन- पु० [सं०] सोमरस निचोड़कर निकालना; यज्ञ; तर्पण; यश-स्नान; प्रसव; अग्नि ।
सवयस, सवयस्क - वि० [सं०] समवयस्क, हमउम्र सवर्ण - वि० [सं०] समान रंगका; समान जातिका । सवर्णन - पु० [सं०] भिन्नोंको समान हरवाले भिन्नोंके रूप में लाना ( गणित ) । सवाँग-* पु० दे० 'स्वाँग' ; + अपने परिवारका व्यक्ति । सवा - वि० चतुर्थांशके साथ (एक या कोई अंक), सपाद । सवाई - वि० चतुर्थांशयुक्त एक, सवा; बढ़-चढ़कर । स्त्री० सूद लेनेका एक प्रकार जिसमें मूल धन अपने चतुर्थांशसे युक्त हो जाता है; जयपुर नरेशोंकी उपाधि । सवाक् चित्र - पु० [सं०] ( टॉकी) वह चलचित्र जिसमें पात्रों के कार्य ही न दिखाई दें, उनका बोलना, गाना, रोना आदि भी सुनाई दे - जो मूक न रहकर बोलता हुआ-सा जान पड़े, बोलपट । सवाद* - पु० दे० 'स्वाद' | सवादिक, सवादिल* - वि० स्वाद देनेवाला, स्वादिष्ठ | सवाब- पु० [अ०] बदला; सुफल; सत्कर्मका (परलोक में
मिलनेवाला) फल | मु० - कमाना - पुण्य संचय करना । सवाया - वि० सवा गुना ।
सवार - पु० [फा०] घोड़े, हाथी, ऊँट आदिपर चढ़ा हुआ, आरोही; अश्वारोही; अश्वारोही सैनिक । वि० सवारी (गाड़ी, मोटर आदि) पर बैठा हुआ; (ला० ) मस्त, नशेमें चूर । * अ० सबेरे, जल्द ।
सवारा* - पु० प्रातःकाल, सवेरा । सवारी - स्त्री० सवार होनेकी क्रिया; वह चीज जिसपर सवार हों (घोड़ा, गाड़ी, पालकी इ० ); सवार; जुलूस (निकलना); कुश्तीका एक पेंच ।
- पुत्र, - सुत - पु० शनि, यमादि । विद्य - वि० [सं०] एक ही, समान विषयका अध्ययन करनेवाला; विद्वान् विज्ञानविद ।
सविधि - वि० [सं०] विधियुक्त | अ० विधिके अनुसार । सविनय - स्त्री० [सं०] विनययुक्त, शिष्टतापूर्ण; विनम्र । -अवज्ञा - स्त्री० ( अन्यायपूर्ण) मुल्की कानूनकी अव
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सवारे, सवारें * - अ० जल्द, शीघ्र - 'तुरत चलौ अब ही ससी* - पु० चंद्रमा ।
फिर आवैं, गोरस बेंचि सवारें'- सू०; सबेरे । सवाल - पु० [अ० 'सुवाल'] माँगना; माँग; पूछना; प्रश्न याचना, भिक्षाकी याचना (फकीर का सवाल ); प्रार्थना, निवेदन; अर्जी; नालिश, फरियाद; गणितका प्रश्न मसला । - ख़्वानी - स्त्री० अदालत में दर्खास्तोंको पढ़ना । - जवाब- पु० प्रश्नोत्तर; बहस; जिरह । मु०-करना पूछना; जाँचके लिए कोई बात पूछना; माँगना; याचना करना । - कुछ जवाब कुछ प्रश्नसे असंबद्ध उत्तर देना ।
मानना ।
सविशेष - वि० [सं०] विशेष गुणोंसे युक्त; असाधारण; श्रेष्ठ । सविस्तर - वि० [सं०] ब्योरे के साथ, तफसीलवार । अ० पूर्व
सविस्मय - वि० [सं०] आश्चर्ययुक्त । अ० विस्मयके साथ । सवेरा - पु० सूर्योदय-काल, प्रातःकाल । सवैया - पु० सवा सेरका बाट; सवाका पछाड़ा; एक छंद । सव्य - वि० [सं०] बायाँ; दक्षिणी; प्रतिकूल; दाहिना । पु० विष्णु जनेऊ । - साची (चिन्) - ५० अर्जुन (दोनों हाथोंसे एक जैसे वेगसे वाण चलानेके कारण); कृष्ण । सव्येतर - वि० [सं०] दाहिना ।
सशंक - वि० [सं०] शंकायुक्त, शंकित; भीरु, डरपोक । सशंकना* - अ० क्रि० डरना; शंकित होना । सशब्द- वि० [सं०] शब्दयुक्तः शोरगुलसे भरा हुआ । सशरीर - पि० [सं०] शरीरयुक्त, मूर्त; अस्थियुक्त । - प्रतिभू - पु० (होस्टेज) जमानतके रूप में रखा गया आदमी;ओल । सशस्त्र - वि० [सं०] शस्त्र या शस्त्रोंसे युक्त, शस्त्रसज्जित । सश्रम कारावास - पु० [सं०] ( [रगरस इंप्रिज़नमेंट) दे० 'सपरिश्रम कारावास' ।
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सस * - पु० चंद्रमा; शशकः शस्य, धान्य । -धर, -हरपु० चंद्रमा ।
ससक* - पु० शशक, खरहा।
ससकना * - अ०क्रि० दिल धड़कना, घबड़ाना, झिझकना । ससना, ससाना * - अ० क्रि० दे० 'ससकना '... चौंक चितै मुख सूख ससानी' - वसंतमंजरी । ससहाय - वि० [सं०] साथियों आदिके साथ । ससा - * पु० शशक; + खीरा ।
ससि* - पु० दे० 'सस' । घर, -हर- पु० चंद्रमा ।
ससुर - पु० दे० 'श्वशुर' । वि० [सं०] देवताओंसे युक्त । ससुरा - पु० ससुर; एक गाली; + ससुराल | ससुरार, ससुरारि* - स्त्री० दे० 'ससुराल' | ससुराल - स्त्री० पति या पल्लीके पिताका घर । ससेन, ससैन्य- वि० [सं०] सेनाके साथ
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सस्ता- वि० अल्प मूल्यका; जिसका मूल्य घट गया हो, मंदा; जो आसानी से मिल सके; घटिया । - माल - पु० घटिया माल । - समय-पु० सस्तीका जमाना । मु०छूटना, सरते छूटना - ज्यादा खर्च भादिकी जगह थोड़े में ही काम चल जाना। -लगा देना-सस्ता बेचना । सस्ताना - अ० क्रि० सस्ता हो जाना । स० क्रि० दाम कम करना ।
सविकल्प, सविकल्पक - वि० [सं०] विकल्पयुक्त; संदिग्ध; (शाता और शेयका) अंतर माननेवाला, निर्णय न कर पानेके कारण दोनोंको माननेवाला, संशयवादी । सविकार - वि० [सं०] परिवर्तनयुक्त; जिसके भावों में परि | सस्ती - स्त्री० सस्तापन, मंदी, मँहगीका न होना । वर्तन हो गया हो; जो सड़-गल रहा हो । सस्त्रीक - वि० [सं०] स्त्री, पत्नीसहित; विवाहित । सविता (तृ) - पु० [सं०] सूर्य; अकवन; बारहकी संख्या । सस्नेह - वि० [सं०] तैलयुक्त; प्रेमपूर्ण ।