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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सद-सद् ८१० निकले । पु० बातके साथ थूक निकलना। जो हमेशा गतियुक्त रहे । पु० वायु (कविप्रि०); सूर्य सद-वि० ताजा-'सद माखन साजो दधि मीठो मधु ब्रह्म । -फल-वि० हमेशा फलनेवाला । पु० बेल; कटमेवा पकवान'-सू० । नया, हालका । स्त्री०आदत, टेव ।। हल; नारियल, गूलर; एक नीबू । -बरत-पु० [हिं०] अ० सद्यः, तुरंत । दे० 'सदावर्त'। -बहार-पु० [हिं०] एक फूल । वि० सद(स)-पु० [सं०] निवास स्थान; सभा । हमेशा फूलनेवाला; जिसमें हमेशा पत्तियाँ रहें । -वर्तसदई*-अ० दे० 'सदा'। पु० [हिं०] हमेशा अन्न बाँटनेका व्रत, ऐसा अन्न । वर्तीसदका-पु० [अ०] वह चीज जो खुदाके नामपर फकीरों- वि०, पु. हमेशा अन्न वितरण करनेवाला, दानी ।-शिवको दी जायः खैरात वह चीज जो किसीपर वारकर दान | वि. जो सदा दयालु रहे; जो हमेशा प्रसन्न या उन्नतशील की जाय या चौराहेपर रख दी जाय, अनुग्रह, प्रसाद रहे । पु.शिव । -सुहागिन-बि०, स्त्री० [हिं०] जो (यह सब...""का सदका है)। -(के)का-सदका किया हमेशा सुहागिन बनी रहे । स्त्री० सिंदूरपुष्पी; एक छोटी हुआ, वारा हुआ (..'का कौआ, चिराग, बुलबुल इ०)। चिड़िया; वेश्या । -का कौआ-वह कौआ जो किसीपर वारकर छोड़ दिया सदा-पु० [अ०] ध्वनि, आवाज; प्रतिध्वनि; आहट; जाया (ला०) काला-कलूटा आदमी। -का गुड़ा-दे० फकीरके माँगनेकी आवाज; पुकार, रट । मु०-देना,'सदकेका पुतला। -का चौराहा-वह चौराहा जहाँ लगाना-फकीरका आवाज लगाना; पुकारना। सदकेकी चीजें रखी जायँ । -का पुतला-वह पुतला जो | सदाकत-स्त्री० [अ०] सचाई; खरापन; तसदीक । सदकेकी चीजोंके साथ चौराहेपर रख दिया जाता है। सदाचरण-पु० [सं०] सद्व्यवहार, अच्छा चाल-चलन । म.-(क) उतारना-कोई चीज किसीके सिरके चारों | सदाचार-पु० [सं०] अच्छा चाल-चलन, अच्छा व्यवहार। ओर घुमाकर किसीको देना या चौराहे पर रख आना। सदाचारिता-स्त्री० [सं०] दे० 'सदाचरण'। -करना-निछावर करना, वारना(स्त्रि०)चूल्हे में डालना | सदाचारी(रिन्)-वि० [सं०] अच्छे चाल-चलनवाला, ('उन हार्थोके सदके करूँ जो मेर बच्चेपर चलें)।-जाना | सुकी। -वारी जाना, निछावर होना। -मैं छोड़ना-वारकर सदात्मा(त्मन्)-वि० [सं०] अच्छे स्वभावका, नेक। छोड़ना (किसी चिड़ियाको)। -होना-निछावर होना, | सदानंद-वि० [सं०] हमेशा आनंदमें रहनेवाला; हमेशा वारी जाना। आनंद देनेवाला । पु० हमेशा रहनेवाला आनंद; शिव; सदन-पु० [सं०] निवासस्थान, घर, मकान; वह भवन विष्णु । या स्थान जहाँ किसी विधानसभा आदिका अधिवेशन हो | सदार-वि० [सं०] सपत्नीक । उक्त स्थानमें होनेवाली सभा या उसमें उपस्थित सदस्योंका | सदारत-स्त्री० [अ०] सद्रका पद, सभापतित्व । सम्हा यज्ञभवन: बैठना, आसन; एक भक्त कसाई। सदाशय-वि० [सं०] उदाराशय, ऊँचे विचारका । सदमा-पु० [अ०] धक्का, आघात; चोट, दिलपर लगने- | सदिया-स्त्री० भूरे रंगकी मुनियाँ । वाली चोट, दुःख शोकका आघात; हानि, नुकसान । | सदी-स्त्री० [फा०] सौ सालका काल, शताब्दी सैकड़ा। मु०-उठाना-दुःख, हृदयपर हुए आघातको सह लेना। सदुक्ति-स्त्री० [सं०] अच्छे शब्द, अच्छा कथन । -पहुँचना-चोट लगना नुकसान पहुँचना। सदुपदेश-पु० [सं०] उत्तम शिक्षा; अच्छी सलाह । सदय-वि० [सं०] दयालु, रहमदिल । -हृदय-वि० सदुपयोग-पु० [सं०] अच्छा उपयोग, अच्छे काममें रहमदिल, कोमलचित्त । लगाया जाना। सदर-पु० दे० 'सद्र'। -अमीन-पु० वह अधिकारी जो सदूर*-पु० शार्दूल सिंह । जजके मातहत हो। -आला-पु. मातहत जज (सब | सदृश-वि० [सं०] समान, एक जैसा; उचित उपयुक्त । जज)। -जहाँ-पु० मुसलमान स्त्रियोंका माना हुआ सदृशता-स्त्री० [सं०) समानता, एकरूपता । एक जिन । -दीवान-पु० साही खजानेका प्रधान | सदेह-वि० [सं०] देहयुक्त । अ० बिना शरीर छोड़े। अधिकारी । -दीवानी-अदालत-स्त्री० हाईकोर्ट । सदैव-अ० [सं०] सर्वदा, हमेशा ही। -बाज़ार-पु० छावनीका बड़ा बाजार । -बोर्ड-पु० सदोष-वि० [सं०] दोषयुक्त, दोषी, अपराधी । -मानवमालका सर्वोच्च विभाग । -मालगुजार-पु० वह आदमी हत्या-स्त्री० (कल्पेबिल होमीसाइड) ऐसा मानववध जो जो सीधे सरकारको मालगुजारी अदा करे । दोष या अपराध माना जाय । सदरी-स्त्री० बिना आस्तीनकी मिरजई, फतुही। सद-वि० [सं०] 'सत्'का समासगत रूप। -गति-स्त्री. सदर्थना*-स० क्रि० समर्थन, पुष्टि करना । अच्छी दशा; मोक्ष-प्राप्रि। -गव-पु० अच्छा साँड़। सदर्प-वि० [सं०] घमंडी । अ० दर्प-पूर्वक । -गुण-वि० अच्छे गुणोंसे युक्त । पु० अच्छा गुण; सजसदसद्विवेक-पु० [सं०] भले-बुरेकी पहचान । नता । -गुरु-पु० अच्छा गुरु, धर्मगुरु । -ग्रंथ-पु० सदसि-अ० [सं०] सभामें । * गृह सभा । उत्तम ग्रंथ, सन्मार्गकी ओर प्रवृत्त करनेवाला ग्रंथ । सदस्य-पु० [सं०] किसी सभा, समाजसे संबंध रखने- | -ग्रह-पु० शुभ ग्रह । -धर्म-पु० अच्छा धर्म; अच्छा वाला व्यक्ति, सभ्य, सभासद, पंच । नियम; अच्छा न्याय। -भाव-पु० नेकमिजाजी; सजसदस्यता-स्त्री० [सं०] सदस्यकी स्थिति, भाव या पद।। नता; अच्छी नीयत; दयालुता । -वंश-पु० अच्छा सदा-अ० [सं०] नित्य, हमेशा निरंतर । -गति-वि०! बाँस; अच्छा कुल । -वार्ता-स्त्री० अच्छी वार्ता; अच्छा For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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