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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शैतानी-शोधना चला जाय; लंबी कथा । -की खाला-दुष्ट, कलह वियोग, नाशसे मनमें बार-बार उठनेवाली चिता, मनःकरनेवाली स्त्री । -की डोर-मकड़ीके जालेका तार जो पीड़ा। -कारक-वि० शोकदायक, पीड़ा देनेवाला। अक्सर रास्तेमें उड़ता रहता है और आँखमें पड़ जाता है। -नाशन-वि० शोक दूर करनेवाला । -परायण-वि० मु०-उतरना-क्रोध शांत होना; बुराई या उपद्रवकी शोकसे ग्रस्त, पीडाभिभूत । -विकल,-विह्वल-वि० प्रवृत्ति या हठका दूर होना ।-के कान काटना-शैतानीमें शोकाकुल । -संतप्त-वि० गमसे जला हुआ, शोकशैतानसे बढ़ जाना। -(सिरपर) चढ़ना,-सवार | पीड़ित । -सूचक-वि० शोककी सूचना देनेवाला, शोकहोना-गुस्सा चढ़ना; शरारत, बुराईपर आमादा होना। प्रकाशक । -हर-वि० शोकहर्ता जिद चड़ना। शोकाकुल-वि० [सं०] शोकसे विह्वल, व्याकुल । शैतानी-वि० [अ०] शैतानका । स्त्री० शैतानका काम; शोकातुर-वि० [सं०] शोकसे छटपटानेवाला। शरारत, दुष्टता। शोकाभिभूत-वि० [सं०] शोकसे ग्रस्त, पीड़ित । शैत्य-पु० [सं०] शीतलता, सदीं। शोकार्त-वि० [सं०] शोकके कारण दीन-हीन बना हुआ, शैथिल्य-पु० [सं०] शिथिलता, सुस्ती; ढीलापन । शोकके कारण जिमकी अवस्था कारुणिक हो गयी हो। शैदा-वि० [फा०] प्रेममें पागल हो जाने, सुध-बुध खो। शोकाविष्ट-वि० [सं०] शोकसंत्रस्त । देनेवाला। शोकावेग-पु० [सं०] गमका दौर, बार-बार शोवकी तीव्र शैल-वि० [सं०] शिला-संबंधी; पथरीला; पत्थर जैसा अनुभूतिका होना । कठोर । पु० पर्वत, पहाड़, गिरि, बड़ा पत्थर या शिला। शोकोपहत-वि० [सं०] गमका मारा। -कन्या,-कुमारी-स्त्री. गिरिजा, पार्वती, शिव-पत्नी। शोख-वि० [फा०] ढीठ; चंचल; नटखट; गहरा (रंग)। -कूट-पु० पहाड़की चोटी। -ज,-जात-पु० शैलेय । शोखी-स्त्री० [फा०] ढिठाई; चंचलता (रंगका) गहरापन। -जा-स्त्री० पार्वती, दुर्गा । -तटी-स्त्री० पहाड़की शोच-पु० [सं०] चिंता; शोक; दुःख, पीड़ा। घाटी।-तनया-स्त्री० पार्वती।-धर-पु० गोवर्धनधारी शोचनीय-वि० [सं०] चित्य, चिंतनीय, शोच्या जिसे कृष्ण । -नंदिनी-स्त्री० गिरिजा, पार्वती । -निर्यास- देखकर पीड़ा, रंज हो, रंज करने लायक । पु० शिलाजीत ।-पति-पु० पहाड़ोंका स्वामी हिमालय। शोच्य-वि० [सं०] शोचनीय चिंतनीय; दयनीय । -पुत्री-स्त्री० पार्वती, गंगा जिसका उद्गम हिमालय । शोण-वि० [सं०] लाल, लालिमायुक्त । पु० लाल रंग; पहाड़ है। -रंध्र-पु० गुफा, गह्वर । -राज-पु० हिमा- लालिमा, लाली रुधिर, रक्त; सिंदूर, अग्नि, सोन नद लय । -राज-सुता-स्त्री. पार्वती, दुर्गा; गंगा नदी। जो गोंडवानेसे निकल पटनेके पास गंगामें मिला है। -वीज-पु० भल्लातक वृक्ष, भिलावाँ। -सुता-स्त्री० -पद्म-पु. लाल कमल । -भद्र-पु० सोन नद । गिरिजा ज्योतिष्मती। -रत्न-पु० पद्मराग मणि, लाल, मानिक । शैलाधिप, शैलाधिराज-पु० [सं०] हिमालय । शोणित-वि० [सं०] लाल, रक्तवर्णवाला । पु० रक्त, खून शैली-स्त्री० [सं०] किसी कामके करनेका ढंग, तरीका, कुंकुम । -चंदन-पु. लाल चंदन । रीति, पद्धति साहित्य, कला आदिकी रचना, अभिव्यक्ति- | शोणितोपल-पु० [सं०] माणिक्य, लाल । की रीति इनकी रचना, अभिव्यक्तिका कौशल 1-कार- शोणिमा(मिन्)-स्त्री० [सं०] लालिमा । पु० साहित्य, कला आदिको विशिष्ट, आकर्षक शैलीका शोथ-पु० [सं०]सूजन ।-नी-स्त्री०पुनर्नवा, गदहपूरना। निर्माण करनेवाला व्यक्ति । शोथारि-पु० [सं०] गदहपूरना । शैलूष-पु० [सं०] नट, अभिनेता; नर्तकधूर्त, शैतान ।। शोध-पु० [सं०] शुद्धि, सफाई; गलतको सही, शुद्ध शैलेंद्र-पु०[सं०] हिमालय ।-सुता-स्त्री० पार्वती; गंगा। करनेकी क्रिया, संस्कार; चुकाना, अदा करना; खोज, शैलेय-वि० [सं०] शैल-संबंधी; शैलसे उत्पन्न; पथरीला; / अनुसंधान । सदृश अचल; पत्थरके समान कठिन । पु० शैलज | शोधक-पु० [सं०] शुद्धिकर्ता, सफाई करनेवाला व्यक्ति नामक गंधद्रव्य, शिलाजतु: तालपर्णी; सैंधव, सेंधा नमक। श्रुटि शुद्ध करनेवाला व्यक्ति खोजी, अन्वेषक । वि० शुद्ध शैल्य-वि० [सं०] शिला-संबंधी पथरीला; पत्थरसा कड़ा।। करनेवाला। शैव-वि० [सं०] शिवका या शिवसे संबंध रखनेवाला। शोधम-वि० [सं०] शुद्धिकारक, साफ करनेवाला । पु० पु० शिव-संबंधी संप्रदाय, मत, दर्शनका अनुयायी शिव- शुद्धीकरण; संशोधन, सही करनेकी क्रिया; परिष्करण, भक्त; शिवोपासक संप्रदाय । मार्जन (जैसे-व्रण आदिका शोधन); ऋण चुकानेकी शैवल-पु० [सं०] पद्मकाष्ठ, सेवार । क्रिया; प्रतिशोध; अन्वेषण, खोज करनेका कार्य; धातुको शैवलिनी-स्त्री० [सं०] नदी, सरिता । औषधरूपमें प्रयोगके लिए उसे शुद्ध करनेकी क्रिया (आ० शैवाल-पु० [सं०] सेवार । वे०); किसी शुभ कार्यके लिए विहित-अविहित मास, दिन शैशव-पु० [सं०] शिशुकी अवस्था, बचपन, शिशु-वृत्ति । आदिके विचार करनेकी क्रिया (ज्यो०); शरीर-शुद्धिके वि०शिशु-संबंधी। लिए विरेचन; सफाई आदिके लिए वस्तुओंका हटाना, शैशिर-वि० [सं०] शिशिर ऋतु-संबंधी; शिशिर ऋतुमें अपनयन; भाज्यमेंसे भाजकको घटाना (गणित)। उत्पन्न । शोधना-सक्रि० शुद्ध करना; गलतको सही करना; साफ शोक-पु०[सं०] इष्ट वस्तु अथवा प्रिय व्यक्ति(बंधु-बांधव)के करना, परिष्कार करना; खोज करना धातुको ओषधरूपमें For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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