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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शब्दशः-शरण्य -सौंदर्य-पु० दे० 'शब्दसौष्ठव' । - सौकर्य - पु० शब्दोंके उच्चारणकी सरलता, सुगमता, मुखसुख । -सौष्ठव - पु० रचना - शैली के शब्दों का सौंदर्य, किसी शब्दयोजनाकी सुंदरता । शब्दशः ( शस् ) - अ० [सं०] किसीके लिखे या कहे गये प्रत्येक शब्दके अनुसार, उसके शब्दोंका ठीक-ठीक अनुसरण करते हुए । शब्दाडंबर- पु० [सं०] अनावश्यक रूपसे और बिना प्रसंग विद्वत्ताके ज्ञापनार्थ बड़े-बड़े शब्दों का प्रयोग जिसमें भावाभिव्यक्तिकी कमी हो, शब्दोंका घटाटोप, शब्दजाल । शब्दातीत - वि० [सं०] जिसका शब्दों द्वारा वर्णन न हो सके, वर्णनातीत । पु० ईश्वर । शब्दाध्याहार - पु० [सं०] वाक्यगत संपूर्ण अर्थकी प्राप्तिके लिए उसमें आवश्यक शब्दोंका समावेश करना । शब्दायमान- वि० [सं०] शब्द करता हुआ, शब्दकारी । शब्दार्थ पु० [सं०] शब्दका अर्थ या अभिप्राय । शब्दालंकार - पु० [सं०] वे अलंकार जिनमें रचनाका चमत्कार या माधुर्य विशिष्ट शब्दों अथवा वर्णोंके प्रयोगपर निर्भर करता है, उनके अर्थपर नहीं । शब्दावली - स्त्री० [सं०] किसी कथन या रचना में प्रयुक्त शब्द-समूह | शम - पु० [सं०] शांति; मानसिक स्थिरता; मुक्ति; अंत:करण और मनका संयम । - लोक - पु० शांतिलोक, स्वर्ग । शमई - वि० शमाका; शमाके रंगका । -रंग-पु० स्याहीमायल हरा रंग | शमन - पु० [सं०] शांति; बुझाना; दूर करना; दबाना; यम । वि० निवारक, दूर करनेवाला । शमशीर, शमशेर - स्त्री० [फा०] तलवार । -का खेतरणक्षेत्र । - ज़नी - स्त्री० तलवारकी लड़ाई । दम- वि० तलवारकी बाढ़ रखने, तलवारकी काट करनेवाला । - बहादुर - वि० खङ्गवीर, तलवारका धनी । शमा स्त्री० [अ० 'शमअ' ] मोम मोमबत्ती; दीया । - दान-पु० वह चीज जिसमें मोमबत्ती लगाकर जलाते हैं; दीवट । व परवाना - पु० दीपक और पतंग (ला० ) प्रेमी और प्रेमपात्र । शमित- वि० [सं०] जिसका शमन किया गया हो; शांत । शमी - स्त्री० [सं०] एक वृक्ष ( कहा जाता है कि इसकी लकड़ी के भीतर विशेष आग होती है जो रगड़नेपर निक लती है); शिंबा । शमी (मिनू ) - वि० [सं०] शांत; आत्मसंयमी । शमीकरण - पु० [सं० ] (पैसिफिकेशन ) दो पक्षोंके बीच चलनेवाले झगड़े या विवादको दूर करना; शान्ति स्थापित करना; क्रुद्ध या उत्तेजित व्यक्तियों (सेना, भीड़ आदि )को शांत करना । शय - पु० [सं०] शय्या; निद्रा; साँप; दावें; हाथ; शाप । शयन - पु० [सं०] निद्रा; शय्या; नारी सहवास ।-आरतीस्त्री० [हिं० ] रात्रि में देवताओंको सुलाते समय की जानेवाली आरती । -कक्ष, गृह-पु० सोनेका घर, शयनागार । - मंदिर - पु० दे० 'शयनकक्ष' । - शालास्त्री० ( डॉर मिटरी ) वह बड़ा शयनकक्ष जिसमें कई Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६६ व्यक्तियों के सोनेकी व्यवस्था हो । शयनागार - पु० [सं०] दे० 'शयनकक्ष' । शयनीय - वि० [सं०] शयन करने योग्य | पु० शय्या | शयालु - वि० [सं०] निद्राशील; सोया हुआ । पु० अजगर; कुत्ता; गीदड़ । शयित-वि० [सं०] निद्रित, सोया हुआ; लेटा हुआ । शय्या - स्त्री० [सं०] सेज, पलंग, खाट; विस्तर । - गतवि० पलंगपर सोया हुआ; अस्वस्थता के कारण खाटपर पड़ा हुआ, बीमार । - दान-पु० मृतककर्मके अंतर्गत प्रेतशांति के लिए एकादशाह तथा द्वादशाहको महापात्र या पुरोहितको दिया जानेवाला पलंग, विछावन आदिका दान, सेजियादान । - पाल, - पालक - ५० राजाके शयन- गृहका प्रबंधक । व्रण- पु० ( बेडसोर ) रोगी के बहुत दिनों तक शय्या ग्रस्त रहनेके कारण उसकी रोढ आदिके छिल जानेसे होनेवाला घाव । शय्याध्यक्ष - पु० [सं०] दे० 'शय्यापाल' | शरंड - पु० [सं०] पक्षी; गिरगिट; छलिया; लंपट | शर-पु० [सं०] बाण; शरपत्र, सरपत; सरकंडा; खस; हिंसा; चिता; 'पाँच' की संख्या; दहीकी भलाई । -कांडपु० सरकंडा । - जाल- पु० बाणोंका समूह । -धिवि० तरकश । -पट्टा पु० एक शस्त्र । - चारण- पु० ढाल । - शय्या - स्त्री० वीरगतिप्राप्त योद्धाके लिए निर्मित बाणोंकी शय्या । - संधान- पु० बाण द्वारा लक्ष्य साधन, निशाना लगाना । शरअ - स्त्री० [अ०] सीधी राह; वह सीधी राह जो ईश्वरने बनायी और बंदोंके लिए बतायी हो; इसलामी धर्मशास्त्र, शरीअत । -अन्-अ० शरभके अनुसार । शरई - वि० [अ०] शरभके अनुकूल । - दादी- स्त्री० एक मुट्टी और दो अंगुल लंबी दाढ़ी। -पाजामा - पु० वद्द पाजामा जो टखनोंसे ऊँचा हो । - शादी - स्त्री० बिना धूमधाम, गाजे-बाजेका ब्याह | शरघा * - स्त्री० मधुमक्खी (कविप्रि०) । शरच्चंद्र- पु० [सं०] शरत् ऋतुका चंद्रमा । -चंद्रिकास्त्री० शरद ऋतुकी चाँदनी । शरण - स्त्री० [सं०] आश्रय; घर; रक्षाका स्थान; अधीन व्यक्ति; रक्षक । - दाता (तृ) - वि० आश्रयदाता, रक्षक । -स्थान- पु० (सेंक्टुअरी) वह स्थान जहाँ शरण लेनेसे कोई आदमी सजा पाने, पकड़े जाने आदि से अपने आपको बचा सकता I शरणागत- पु० [सं०] शरण में आया व्यक्ति । वि० शरणमें आया हुआ । शरणापत्र - वि० [सं०] दे० 'शरणागत' । शरणार्थी (थिन् ) - वि० [सं०] शरण चाहनेवाला, अपनी रक्षाका अभिलाषी । पु० ( रिफ्यूजी ) वह जो एक देशसे विस्थापित होकर दूसरे देश में आश्रय ग्रहण करे । बस्तीस्त्री० [हिं०] ( रिफ्यूजी टाउनशिप) शरणार्थी जहाँ बस गये या बसाये गये हों वह बस्ती । For Private and Personal Use Only शरणि- स्त्री० [सं०] मार्ग; पृथ्वी; पंक्ति, अवली; हनन । शरण्य - वि० [सं०] रक्षा के योग्य, शरण देने योग्य; शरण देनेवाला; शरणागतका रक्षक ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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