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लबड़धौधौँ-ललाना लबड़धाँधों-स्त्री० व्यर्थका गुलगपाड़ा, हल्ला-गुल्ला; अंधेर, लरखराना*-अ० क्रि० दे० 'लड़खड़ाना'। अव्यवस्था; अनीति; अन्याय, बेईमानी ।
| लरजना*-अ० क्रि० काँपना, हिलना-डुलना; दहल लबड़ना*-अ० क्रि० झूठ बोलना; गप मारना।
जाना, भयभीत होना; झेंपना । लबनी -स्त्री० लंबी हाँड़ी जिसमें ताड़ी चुलायी जाती है। लरज़ा-पु० [फा०] कँपकँपी; भूडोल, जूड़ी-बुखार । लबरा*-वि० गप्पी, झूठा, झूठा बोलनेवाला।
लरझर*-वि० बहुत अधिक मात्रामें उपलब्ध प्रचुर । लबलबी-स्त्री० बंदूकके घोड़ेकी कमानी।
लरना*-अ० क्रि० दे० 'लड़ना। लबादा-पु० [फा०] एक लंबा, ढीला-ढाला पहनावा, | लरनि*-स्त्री० लड़ाई; होड़-'बदन बिधु जित्यो लरनि'चोंगा; रुईदार चोंगा।
गीता; लड़नेका तरीका। लबाब-वि० [अ०] खालिस, बेमेल। पु० सारांस,खुलासा; लराई*-स्त्री० दे० 'लड़ाई'। गूदा; मग्ज ।
लराका*-वि०, पु० दे० 'लड़ाका। लबारी-वि० झूठा, गप्पी, बकी।
लरिकई-स्त्री० दे० 'लरिकाई' । लबारी-स्त्री० झूठ बोलना। * वि० चुगलखोर; झूठा। ल रेकसलोरी*-स्त्री० लड़कोंका खेल, शरारत-'सूरदास लबालब-अ० मुँह या किनारेतक (भरा हुआ)।
प्रभु करत दिनहिं दिन ऐसी लरिकसलोरी'-सू० । लबेद-पु० रूदि, रीति, लोकाचार, परंपरा ।
लरिका*-पु० दे० 'लड़का'। लबेदी-स्त्री० छोटा, पतला डंडा; जबरदस्ती।
लरिकाई*-स्त्री० बचपन, बाल्यावस्था; नादानी। लब्ध-वि० [सं०] प्राप्त, मिला हुआ; भाग करनेसे प्राप्त | लरिकिनी*-स्त्री० लड़की । (फल-गणित); अजित । -काम-वि० जिसकी वांछा | लरिया-पु० दुपट्टा (ग्राम)। पूरी हो गयी हो। -कीर्ति,-नामा(मन्),-प्रतिष्ठ- लरी*-स्त्री० दे० 'लड़ी। वि० प्रसिद्ध, यशस्वी। -चेता(तस),-संज्ञ-वि० ललक-स्त्री० बलवती इच्छा, गहरी लालसा । होश में आया हुआ । -विद्य-वि० विद्वान् । -सिद्धि- ललकना-अ० क्रि० किसी चीजके लिए अत्यधिक उत्सुक वि० जिसको सिद्धि प्राप्त हो गयी हो।
होना, गहरी लालमा होना; उमंगसे भर जाना। लब्धि-स्त्री० [सं०] लाभ, प्राप्ति; भाज्यको भाजक द्वारा ललकार-स्त्री. लड़नेके लिए प्रतिपक्षीको चुनौती देना, विभक्त करनेसे प्राप्त भागफल (गणित)।
प्रचारणा; किसीको लड़ने के लिए बढ़ावा देनेकी क्रिया । लभनी-स्त्री० दे० 'लबनी।
ललकारना-स० क्रि० विपक्षीको लड़नेकी चुनौती देना; लभ्य-वि० [सं०] पाने योग्य उचित, न्याय्य ।
किसीको किसी आदमीसे लड़नेका बढ़ावा देना, उभाड़ना। लम-वि० 'लंबा'का समासगत रूप । -गोड़ा,-टंगा- | ललकित-वि० गहरी चाहसे प्रेरित । वि० लंबी टाँगवाला । -घिचा-वि० लंबी गरदनवाला। ललचना-अ०कि. किसी अभिलषित वस्तुकी प्राप्तिके लिए -छड़-पु० लंबी बंदूक (पुराने ढंगकी); भाला, साँगा। उत्सुक, अधीर होना; लुब्ध होना; लालसा करना। वि० लंबा और पतला। - आ--वि० लंबोतरा।। ललचाना-सक्रि०किसीको कुछ पानेकी आशा बँधाकर -तडंग-वि० लंबा-तगड़ा (आदमी)।
अधीर करना; कोई लुभावनी चीज दिखाकर पानेके लिए लमकना* --अ० क्रि० उत्सुक, उत्कंठित होना; लपकना। आकुल, व्यग्र, करना । अ० क्रि० दे० 'ललचना' । लमधी-पु० समधीका पिता।
ललचौहाँ*-वि० ललचाया हुआ। लमाना* -स० क्रि० लंबा करना; दूरतक बढ़ाना। अ० ललन-वि० [सं०] क्रीड़ाशील । पु० क्रीड़ा प्यारा बच्चा क्रि० दूर बढ़, निकल जाना।
* नायकके लिए प्रेमव्यंजक शब्द । लय-स्त्री० स्वर; गानेकी धुन, शैली; सम (संगीत)। ललना-स्त्री० [सं०] स्त्री कामिनी जीभ । -प्रिय-पु. पु० [सं०] मिलना, एक वस्तुका दूसरीमें विलीन कदंबका पेड़ एक गंधद्रव्य; बेर । वि. जीभको प्रिय होना; ध्यानका एकाग्र होना; कार्यका कारणमें लीन | लगनेवाला, स्वादिष्ठ, रमणीको प्रिय लगनेवाला । होना प्रकृतिका विपरिणाम, सृष्टिका प्रलयावस्था में अव्यक्त | ललनी*-स्त्री० बाँसकी नली। हो जाना; लोप; क्रीड़ा; गाने और बाजेके स्वरोंका मेल; | ललरी-स्त्री० कानकी लोलकी। स्थैर्य, विश्राम; विश्रामस्थल; मानसिक निष्क्रियता; ललही छठ-स्त्री० हल-षष्ठी (भाद्र कृष्ण)। आलिंगन ।
लला-पु. लड़कोंका सामान्य संबोधन; लड़का (जो प्यारा, लर*-स्त्री० दे० 'लई'।
दुलारा हो); प्रेमी, नायकका संबोधन । लरकई*-स्त्री० लड़कपन, नादानी ।
ललाई-स्त्री० सुखी, लाली। लरकना-अ० क्रि० लटकना झुकना; तिरछा होना। ललाट-पु० [सं०] माथा; भाग्य । -तट-पु० ललाटकी लरका*-पु० दे० 'लड़का'।
ढाल या तल । -पटल,-पट्ट,-फलक-पु० माथेका लरकाना-स० क्रि० लटकाना; झुकाना; तिरछा करना; तल, विस्तार । -रेखा-लेखा-स्त्री० मस्तककी रेखाएँ; हटाना, जरा इधर-उधर स्थित करना ।
भाग्यलेख । मु०-का लिखा-भाग्यका लेख । -में लरकिनी-स्त्री० लड़की।
होना-भाग्य, तकदीर में होना । लरखरना*-अ० कि० दे० 'लड़खड़ाना'।
ललाटाक्ष-पु० [सं०] शिव । लरखरनि*-स्त्री० डगमगाहट; लड़खड़ाहट ।
ललाना*-अ० कि० किसी चीजपर मोहित, लुब्ध होना,
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